श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री रंगदेशिकाय नम:

श्रीमत् कृष्ण समाह्वाय नमो यामुन सूनवे |
यत् कटाक्षैक लक्ष्याणं सुलभ: श्रीधरस्सदा ||
श्री यामुनाचार्य के पुत्र एवं श्री कृष्ण नाम वाले (पेरियवाच्चान पिळ्ळै) को मेरा नमस्कार है, जिनके कटाक्ष से श्रीधर (भगवान नारायण) सुलभता से प्राप्त हो जाते हैं|
“श्री रामायण तनि-श्लोकम्” ग्रन्थ श्री वाल्मीकि रामायण के कुछ चुनिन्दा श्लोकों का व्याख्यान है, जिसकी महिमा आदि काव्य के रूप में प्रसिद्ध है| इसके रचयिता श्री कृष्णपाद आचार्य (पेरियवाच्चान पिळ्ळै) हैं| पेरियवाच्चान पिळ्ळै सबसे महत्वपूर्ण आचार्यों में से एक हैं, जिन्हें चार सिंहासनों पर अभिषिक्त किया गया है:
- दिव्य प्रबन्ध व्याख्यान का सिंहासन: आचार्य ने सभी आऴ्वारों के सभी प्रबन्धों पर व्याख्यान लिखे हैं|
- संस्कृत ग्रन्थों के व्याख्यान का सिंहासन: आचार्य ने पूर्वाचार्यों के संस्कृत ग्रन्थों जैसे स्तोत्र रत्न (आळवन्दार/ श्री यामुनाचार्य स्तोत्र), चतुश्लोकी (वरदवल्लभा स्तोत्र), गद्य-त्रय आदि पर व्याख्यान लिखे हैं|
- रहस्य ग्रन्थों का सिंहासन: आचार्य ने रहस्य ग्रन्थों की रचना की है, जैसे: परन्द रहस्य, माणिक्क माला आदि|
- इतिहास एवं पुराणों पर व्याख्यान का सिंहासन: आचार्य ने श्री रामायण, महाभारत आदि स्मृतियों के महत्त्वपूर्ण श्लोकों पर व्याख्यान लिखे हैं|
श्री रामायण की महिमा अनेक प्रकार से है एवं आचार्यों ने इसका बहुत सम्मान किया है क्योंकि यह सामान्य धर्म (साधारण धार्मिक नीतियाँ) एवं विशेष धर्म (विशेष/गुह्य धार्मिक नीतियाँ), दोनों का सार बतलाता है| हमारे पूर्वाचार्य अपने व्याख्यानों में बहुधा बहुत प्रकार से श्री रामायण के श्लोकों को प्रमाण के रूप में उद्धृत करते हैं|
हम भाग्यशाली हैं कि आचार्य पेरियवाच्चान पिळ्ळै ने इस विषय में अपना गहरा दृष्टिकोण दिया है|
श्री उ वे सारथी तोताद्री स्वामी के ग्रन्थ कालक्षेप (तमिऴ् भाषा में) के आधार पर हम इस दिव्य ग्रन्थ के अर्थों का संक्षेप में अनुभव करेंगे| (https://youtube.com/playlist?list=PLcJLpGJlP9moS0XVyG2cgJ5i7dkcceRpq&si=0ZQhuOL0-tJJSM8k)
अडियेन् माधव श्रीनिवास रामानुज दास
आधार: https://granthams.koyil.org/sri-ramayana-thani-slokam-english/
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