प्रपन्नामृत – अध्याय ११

प्रपन्नामृत –  अध्याय 11

🍀 श्री महापुर्णाचार्य स्वामीजीसे श्रीरामानुजाचार्य का पञ्चसंस्कार ग्रहण 🍀

🔹 श्री यामुनाचार्यजी के वैकुण्ठगमन के बाद श्रीरंगम के सभी वैष्णवोंने निर्णय किया की वैष्णवरक्षक श्रीरामानुजाचार्य को महापुर्ण स्वामीजी द्वारा पञ्चसंस्कार संस्कृत करके और आल्वारोंके ग्रंथोंका अध्ययन कराके श्रीरंगम लाया जाय।

🔹 महापुर्ण स्वामीजी रामानुजाचार्य को लेने के लिये काञ्ची के लिये प्रयाण किये। रास्तेमें ही रामानुजाचार्य सामनेसे आते मिले।

🔹रामानुजाचार्य नें पंचसंस्कार के लिये महापुर्ण स्वामीजी से प्रार्थना की।

🔹 महापुर्ण स्वामीजी ने कहा का अगले दिन काञ्ची चलकर वरदराज भगवान की सन्निधिमें आपका पञ्चसंस्कार करेंगे।

🔹 रामानुजाचार्य ने कहा की चंचल जीवन का कोई विश्वास नही। काल किसीपर कृपा नही करता। उज्जीवन के कार्यमें देर नही करना चाहिये। इसलिये मुझे आजही पंचसंस्कारित करें।

🔹 रामानुजाचार्य का आग्रह देखकर महापुर्ण स्वामीजी ने उन्हे उसी क्षेत्रमें उसी दिन सविधी तप्त शंख चक्र से चिन्हित करके पंचसंस्कार संपन्न किया।

🔹 आगे महापुर्ण स्वामीजी बोले, “वैष्णवोत्तम रामानुजाचार्य! अब अखिल वैष्णवोंके रक्षक आपही हैं। प्रच्छन्न बौद्धादि अनेक पाखण्डवादियोंको निरास करके श्रीमन्नारायण को अशेषशेषी सिद्ध करने में आप समर्थ हैं।

🔹 तदनन्तर श्रीरामानुजाचार्य श्रीमहापुर्णाचार्य स्वामीजी के सन्निधी में रहकर विवध ग्रंथ, सात्विक पुराण एवं दिव्य-प्रबन्धोंका अध्ययन किये।

Leave a Comment