प्रपन्नामृत – अध्याय 13
सन्यस्त श्रीरामानुजाचार्य का श्रीवरदराज भगवान द्वारा सम्मान
🔸 अनन्त सरोवर के तट पर गुरुदेव यामुनाचार्यजी का ध्यान करते हुए रामानुजाचार्य सन्यास ग्रहण किये।
🔸 देवताओंने पुष्प वर्षा और दुन्दुभिघोष की।
🔸 निराश कलि पर्वत-कन्दराओंमें अपना स्थान खोजने लगा कि कहीं पाप का विनाश ना हो जाय।
🔸 वरदराज भगवान की आज्ञा से काञ्चीपूर्ण स्वामीजी अति सम्मान और पूर्ण मर्यादासे श्रीरामानुजाचार्य को लेकर वरदराज भगवान की सन्निधि में आये।
🔸 वरदराज भगवान अर्चकोंके द्वारा श्री रामानुजाचार्य का तीर्थ शठकोपादि से सम्मान करवायें।
🔸 उत्सव सम्पन्न हुवा।
🔸 भगवानने श्रीरामानुजाचार्य को “यतिराज” संज्ञा प्रदान की और सुन्दर मठ प्रदान किया।