प्रपन्नामृत – सप्तम अध्याय 7
श्री रामानुजाचार्य रक्षार्थ भगवान यामुनाचार्य द्वारा आलवन्दार स्तोत्र की रचना
🔸 एक समय यामुनाचार्य स्वामीजी श्रीरामानुजाचार्य को देखने के लिए काञ्ची आये।
🔸 श्री यामुनाचार्य स्वामीजी काञ्चीपूर्ण स्वामीजी के साथ वरदराज भगवान का मंगलाशासन किये। और रामानुजाचार्य को देखने बाहर आये।
🔸उसी समय यादवप्रकाश अपने शिष्योंके साथ वरदराज भगवानके दर्शनके लिये आ रहे थे।
🔸 काञ्चीपूर्ण स्वामीजीने यादवप्रकाश के बारेमें सब कुछ बताया और यादवप्रकाश के शिष्योंके बीच चलनेवाले आजानुबाहु रामानुजाचार्य का वर्णन किया।
🔸 दुष्टोंके से घिरे रामानुजाचार्य मेरे पास नही आ सकेंगे यह सोचकर यामुनाचार्यजी वरदराज भगवान से रामानुजाचार्य की विज्ञानवृद्धि के लिये प्रार्थना करने लगें।
🔸 तत्पश्चात् श्री यामुनाचार्यजी काञ्ची से श्रीरंगम् आकर श्री रामानुजाचार्य की हितकामना से आलवन्दार स्तोत्र की रचना किये।