प्रपन्नामृत – अध्याय ३०
यतिराज का श्री शैलपुर्णाचार्य स्वामीजी से रामायण का अर्थ सुनना भाग – १
श्रीरामानुजाचार्य वेंकटाचल को प्रणाम कर चढना प्रारम्भ किये
श्रीशैलपुर्णाचार्य स्वामीजी स्वयं अगवानी करके स्वागत के लिये आये
रामानुजाचार्य ने पुछा आप स्वयं क्यों आये? किसी बालक को भेजदेते
तो श्रीशैलपुर्णाचार्य बोले “मुझे छोड़कर वेंकटाचलमें कोई बालक नही”
विविध उद्यान मण्डप का विस्मित होकर दर्शन किये तथा विशालवृक्ष और नाना प्रकार के पशुपक्षियोंको नित्यसूरी मानकर बराह भगवान का दर्शन किये।
कुलशेखर सोपान को पार करके, यामुनाचार्य पुष्प मण्डप की प्रदक्षिणा करके स्वामी पुष्करिणी का तीर्थ लेकर भगवान वेंकटेश के मंदिरमें प्रवेश किये।
यज्ञशाला, श्रीमणिमण्डप, विष्वक्सेन प्रमृति को साष्टांग प्रणाम करके, आनंद निलय नामक विमान का दर्शन करके फिर वेंकटेश भगवान का दर्शन किया।
श्रीशैलपुर्णाचार्य स्वामीजीने कहा इस दिव्यदेशमें ३ दिन रहना चाहिये।
रामानुजाचार्य ३ दिन तक निराहार रहकर श्री वेंकटेश भगवान का भट्टनाथ सूरिकृत गाथाओंसे मंगलाशासन किये।
वेंकटाचल से उतरकर तिरुपति में श्रीशैलपुर्णाचार्य की सन्निधी में रहकर वाल्मीकीय रामायणका अर्थ श्रवण करते हुये १ वर्षतक निवास किये।