श्रीरामानुजाचार्य का वैभव (३)
🔹जैसे भगवान के दशावतारोंमें राम-कृष्ण की प्रधानता है, ॠषिमुनियोंमें व्यासादि मुनि प्रधान हुये, १०८ दिव्य देशोंमें श्रीरंगम, वेंकटाद्रि, काँची प्रमुख माने गये, १० आल्वारोंमें श्रीशठकोपसुरी प्रधान माने जाते हैं उसी प्रकार सभी पूर्वाचार्योंमें यतिराज रामानुजाचार्य प्रमुख आचार्य माने गये हैं।
🔹रामानुजाचार्य ने संसार को अभय प्रदान करनेके लिये भगवान गीताचार्य (श्रीकृष्ण) द्वारा कथित तत्त्वार्थ स्वरुप चरमार्थ का विशद प्रकाशन किया।
🔹रामानुजाचार्य ने ॠषियोंद्वारा कथित प्रमाणोंकी व्याख्या की।
🔹रामानुजाचार्य नें संसार रक्षा के लिये श्री शठकोपादि आल्वारोंद्वारा रचित दिव्य प्रबन्धोंके तत्त्वार्थोंका उपदेश दिया।
🔹रामानुजाचार्य ने आल्वार पुर्वाचार्योंके तत्त्वार्थोंको ग्रहण कर लोक कल्याणार्थ व्यास सूत्रोंपर श्रीभाष्य आदि विपुल ग्रंथोंकी रचना की।
🔹अनेकों विघ्नों का सामना करते हुये शास्त्रार्थद्वारा सभी प्रांतोंके विद्वानोंको जीतकर श्रीविशिष्ठाद्वैत सिद्धान्तको स्थापित किया।
🔹रामानुजाचार्य ने श्रीविशिष्ठाद्वैत दर्शन को वेदमूलक सिद्ध किया। इसीलिये यह दर्शन “श्री रामानुज दर्शन” के नामसे विख्यात हुवा।
🔹इन्ही कारणोंसे यतिराज रामानुजाचार्य समस्त गुरुपरम्परामें श्रेष्ठ माने गये।