प्रपन्नामृत – अध्याय ६९

🌷 श्री भट्टार्य का विजय प्रस्थान 🌷

🔹श्री यतिराज रामानुजाचार्य ने वेदान्तसार, वेदान्त दीप, वेदार्थ-संग्रह, श्रीभाष्य, गद्यत्रय आदि अनेक ग्रंथोंकी रचना की।

🔹श्री यतिराज के वैकुण्ठ गमन के पश्चात् श्री पराशर भट्टार्य ने श्री गोविन्दाचार्य की सेवा द्वारा शीघ्र ही उभय वेदान्त का ज्ञान संपादन किया।

🔹श्री पराशर भट्टार्य स्वामीजी को ज्ञात हुवा की पश्चिम दिशा में श्रीरंगपट्टण नामक स्थानपर श्रीवेदान्ति नामक प्रसिद्ध, सर्व शास्त्र तत्वज्ञ मायावादी विद्वान निवास करते हैं, जिन्होने छ: दर्शन सिद्धान्तोंके विद्वानोंको पराजित किया है।

🔹श्री पराशर भट्टार्य ने तात्काल उस मायावादी वेदान्ति को पराजित करने की ईच्छा की।

🔹श्री परकाल स्वामीजी ने जिस दिव्य प्रबंध से भगवान के अलौकिक प्रभाव का अनुभव किया था उसके द्वारा इस समय उस वेदान्ति तो जीतना चाहिये, ऐसा विचार करके श्री पराशर भट्टार्य रंगनाथ भगवान के सन्निधी में आये।

🔹उन्होने भगवान से निवेदन किया, “वेदान्ति नामक विद्वान को जीतकर तथा अपना शिष्य बनाकर फिर आपकी सेवा में आउंगा।”

🔹भगवान ने उन्हे आज्ञा देकर बहुमान पुर्वक विदा किया।

🔹श्री पराशर भट्टार्य ने समस्त शिष्य समुदाय के साथ श्रीरंग पट्टण के लिये प्रस्थान किया।

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