प्रपन्नामृत – अध्याय २०

प्रपन्नामृत – अध्याय 20

🍀श्रीरामानुजाचार्य का मन्त्रार्थ प्राप्ति के लिए गोष्ठिपुर जाना🍀

🔹एक दिन श्रीरामानुजाचार्य ने श्री महापुर्णाचार्य स्वामीजी को रहस्यात्मक तत्वोंके उपदेश के लिए प्रार्थना की।

🔹श्रीमहापुर्णाचार्य स्वामीजी ने मूलमन्त्र और द्वयमन्त्र की महिमा वर्णन किया तथा मन्त्रोंके रहस्य अर्थ गोष्ठिपुर में गोष्ठीपुर्ण स्वामीजी से प्राप्त करनेकी आज्ञा प्रदान की।

🔹रामानुजाचार्य ने श्री गोष्ठीपुर्ण स्वामीजी के चरणोंमें जाकर उनसे मन्त्रोंके रहस्य अर्थ के लिये सविनय प्रार्थना की।

🔹तब गोष्ठीपुर्ण स्वामीजी प्रार्थना अस्वीकार करते हुये बोले, “मूलमन्त्र का महत्व इतना ओछा नहीं है और इस मर्त्यलोकमें इसका कोई अधिकारी नही दिखाई पडता इसलिये मैं इतनी जल्दी अर्थ नही बता सकता हुँ।

🔹रंगनाथ भगवान ने गोष्ठीपुर्ण स्वामीजी को रामानुजाचार्य की पात्रता के बारेमें बताया और उन्हे मंत्रार्थोपदेश करनेकी विनंति की।

🔹फिर भी रामानुजाचार्य को १८ बार गोष्ठिपुर आकर मन्त्रार्थ के उपदेश बिना लौटना पड़ा।

🔹रामानुजाचार्य की अति दु:खी दशा का पता लगा तो गोष्ठीपुर्ण स्वामीजी ने रामानुजाचार्य को मन्त्रोपदेश सुनने के लिये अकेले पधारनेके लिये बुलावा भेजा।

🔹रंगनाथ भगवान से आज्ञा लेकर रामानुजाचार्य गोष्ठिपुर के लिये प्रस्थान किये।

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