द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 27

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 26 श्री पराशर भट्टर और आळ्वार श्रीवैष्णव सम्प्रदाय की परम्परा मे, स्वामी श्री पराशर भट्टर, एक प्रसिद्ध एवं निपुण व्यक्तित्व है | उनका सम्प्रदाय एवं परम्परा मे ज्ञान अतुलनीय है और इस विषय मे आपकी प्रवीणता तो स्वामी रामानुजाचार्य से … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 26

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 25 श्रीशठकोप स्वामी एवं कुरेश स्वामी (आळ्वार एवं आळ्वान) श्रीकूरेश स्वामी द्वारा विरचित, अतिमानुष स्तव का तीसरा श्लोक भी आप श्री का आळ्वार के प्रति अत्यन्त प्रेम भावना को प्रकाशित करता है :: श्रीमत् परान्कुश मुनीन्द्र मनोविलासात् तज्जानुरागरसमज्जनं अञ्जसाप्य | … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 25

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 24 परान्कुश पयोधि ऐसे विभिन्न लवलीन घटनाएँ है जिनसे भगवद् पाद श्रीरामानुजाचार्य के विभिन्न ग्रन्थों मे शठकोप स्वामीजी के दिव्य शब्दों के गूढ़ प्रभाव को अनुभव कर सकते है | हमने यह भी देखा कि किस तरह से भगवद्रामानुजाचार्य, शठकोप … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 24

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 23 आळ्वारों के श्रीसूक्तियों (अरुलिच्चेयल्) से मूल सिद्धान्त का निरूपण उपनिषदों मे ऐसे कई विभिन्न वेदवाक्य है जो विभिन्न अर्थों को व्यक्त करते है | उनमे से कुछ वाक्य जीव और परमात्मा का भेद नही करते है (जीव और परमात्म … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 23

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 22   श्रीभाष्यकार श्रीरामानुज स्वामीजी के दिव्य आलौकिक ग्रन्थों का गंभीरतापूर्वक अध्ययन यह स्पष्ट है कि श्रीरामानुज स्वामीजी के दिव्य ग्रन्थों का अध्ययन कर समझना है तो अध्ययन कर्ता को उनके प्रत्येक अक्षरों को बहुत निगूढ़ता एवं गंभीरतापूर्वक से समझना … Read more

Vedārtha Saṅgrahaḥ 17

SrI: SrImathE SatakOpAya nama: SrImathE rAmAnujAya nama: SrImadh varavaramunayE nama: Full series << Previous The comprehension of the import of Vedas Criticism of Bhāskara’s Bhedābheda Passage 73 In the second view (that of Bhāskara), nothing other than the Brahman and qualifiers (upādhi) is admitted. As a result, the qualifiers can touch only the Brahman. All … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 22

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 21 मूल लेखन – पेरुमाल कोइल श्री उभय वेदांत प्रतिवादि अन्नन्गराचार्य स्वामी श्रीशठकोप स्वामीजी के वैभव का प्रकाश, श्रीभाष्य से आळ्वारों के दिव्य पासुरों से प्रेरित, श्रीभाष्य का मङ्गलश्लोक, भगवान् श्रियः पति श्रीनिवास के लिये समर्पण तो है ही पर … Read more

Vedārtha Saṅgrahaḥ 16

SrI: SrImathE SatakOpAya nama: SrImathE rAmAnujAya nama: SrImadh varavaramunayE nama: Full series << Previous The comprehension of the import of Vedas Criticism of Advaita Passage 66 Also, from where does the knowledge that removes the perception of all difference become born? If one says that it is born from the Vedas, it cannot be accepted. … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 21

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 20 मूल लेखन – पेरुमाल कोइल श्री उभय वेदांत प्रतिवादि अन्नन्गराचार्य स्वामी पिछले लेख का अनुसरण करते हुए, हम आगे श्रीभाष्य के मङ्गल श्लोक के विभिन्न अंशों पर चर्चा करेंगे जो पूर्वाचार्य एवं आळ्वारों के दिव्य श्रीसूक्तियों पर आधारित है … Read more

Vedārtha Saṅgrahaḥ 15

SrI: SrImathE SatakOpAya nama: SrImathE rAmAnujAya nama: SrImadh varavaramunayE nama: Full series << Previous The comprehension of the import of Vedas Criticism of Advaita Passage 58 The objector speaks: Avidyā is proposed by us for two reasons: (i) the Vedas have mentioned it and (ii) the teaching that the individual soul is identical to Brahman … Read more