ड्रमिडोपनिषड् प्रभाव् सर्वस्वम् 10

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 9 भगवान नारायण ही परम नियंत्रक हैं भगवद रामानुजाचार्य ने यह पहचाना और स्पष्ट किया की श्रीरंगम के श्रीरंगनाथ भगवान ही सभी चेतन और अचेतन जीवों के परम नियंत्रक हैं। श्रीरड्ग गद्य कि शुरुवात ही “स्वाधीन त्रिविध चेतनाचेतन स्वरूपस्थिति प्रवृत्तिभेदमं” … Read more

Vedārtha Saṅgrahaḥ 4

SrI: SrImathE SatakOpAya nama: SrImathE rAmAnujAya nama: SrImadh varavaramunayE nama: Full series << Previous The comprehension of the import of Vedas True Character of Individual soul and God Having stated the essence of the Vedas, Bhagavad Rāmānuja explains the true character of the individual soul and God in the next two passages. Passage 4 1. … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 9

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 8 श्री पेरुमाळ कोईल महामहोपाध्याय जदगाचार्य सिंहासनाधिपति उभय वेदान्ताचर्य प्रतिवादि भयंकर श्री अणंगराचार्य स्वामीजी के कार्य पर आधारितII इस लेख में, हम श्री रामानुजाचार्य स्वामीजी के कप्यासा पर लिखित टीकाओं को जाचेंगे और इसे आलवारों कि स्तुतियों कि सोच से … Read more

Vedārtha Saṅgrahaḥ 3

SrI: SrImathE SatakOpAya nama: SrImathE rAmAnujAya nama: SrImadh varavaramunayE nama: Full series << Previous The comprehension of the import of Vedas The discourse begins from here. We will consider the essence of each passage with comments. At the outset of his discourse, Svāmī Rāmānuja states the essential meaning of the Vedas in brief. Essence of Passage … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 8

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 7   श्री पेरुमाळ कोईल महामहोपाध्याय जदगाचार्य सिंहासनाधिपति उभय वेदान्ताचर्य प्रतिवादि भयंकर श्री अणंगराचार्य स्वामीजी के कार्य पर आधारितII (i) पुण्डरीकाक्ष भगवान ही परब्रम्ह है| छांदयोग्य उपनिषद में परब्रम्ह को ही कमल नयन वाले या पुण्डरीकाक्ष नाम से पहचाना गया … Read more

Vedārtha Saṅgrahaḥ 2

SrI: SrImathE SatakOpAya nama: SrImathE rAmAnujAya nama: SrImadh varavaramunayE nama: Full series << Previous The comprehension of the import of Vedas Opening Verses [2] paraṃ-brahmaivājñaṃ bhramaparigataṃ saṃsarati tat paropādhyālīḍhaṃ vivaśam-aśubhasyāspadamiti | śṛti-nyāyāpetaṃ jagati vitataṃ mohanamidam tamo yenāpāstaṃ sa hi vijayate yāmunamuniḥ || The verse is dedicated to praise Svāmī Yāmunācārya. The importance of Svāmī Yāmunācārya … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 7

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्री वानाचलमहामुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 6   श्री पेरुमाळ कोईल महामहोपाध्याय जदगाचार्य सिंहासनाधिपति उभय वेदान्ताचर्य प्रतिवादि भयंकर श्री अणंगराचार्य स्वामीजी के कार्य पर आधारितII समुद्र और भगवत्कल्याणगुण साधारणतः हमारे पूर्वाचार्यों ने अपने ग्रंथों मे सागर को उपमान मानते हुए भगवान को समस्त-कल्याण-गुण-सागर … Read more

Vedārtha Saṅgrahaḥ 1

SrI: SrImathE SatakOpAya nama: SrImathE rAmAnujAya nama: SrImadh varavaramunayE nama: Full series Opening Verses It is customary for ācāryas to commence their teaching with prayers to the Lord and the preceptor. Svāmi Rāmānuja commences his book with two such prayers, the first addressed to the Lord and the second to his preceptor, Svāmi Yāmunācārya. [1] … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 6

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्री वानाचलमहामुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 5 आल्वार् और भगवद्रामानुजाचार्य – २ परित्राणाय साधूनाम् श्रीमद्भगवद्गीता का चतुर्थाध्याय श्लोक सर्वप्रसिद्ध है | “परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् | धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे || ” सामान्य व्यक्ति को भी यह अर्थ समझ पडता है कि … Read more

द्रमिडोपनिषत प्रभाव् सर्वस्वम् 5

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्री वानाचलमहामुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 4   आल्वार और भगवद रामानुज स्वामीजी  श्री वरवरमुनी स्वामीजी कहते हैं, “यह वास्तव में रामानुज दर्शन है, जैसे श्री शठकोप स्वामीजी ने बताया था।” श्रीवैष्णव संप्रदायेतर संप्रदाय भी यह मानते हैं की देशव्यापी (और विश्वव्यापी) भक्ति … Read more