प्रपन्नामृत – चतुर्थ अध्याय
पं. यादव प्रकाशाचार्य द्वारा श्रीरामानुजाचार्य का विन्ध्य बन में त्याग ▶ एक समय अपने सभी शिष्योंको बुलाकर यादवप्रकाश बोले, “मेरी सन्निधिमें पढकर मेरे श्रुत्यर्थोंको अशुद्ध बतलानेवाला रामानुज मेरा शत्रु बन बैठा है। यह मेरे मत को खण्डित करनेके लिये ही अवतरित हुआ है। इस रामानुज का मैं कैसे वध करुँ?” ▶ यादवप्रकाश नें शिष्योंके साथ … Read more