प्रपन्नामृत – अध्याय १८

प्रपन्नामृत – अध्याय 18 🔷श्री शैलपूर्णाचार्य स्वामी का गोविन्दाचार्यजी को श्रीवैष्णव बनाना🔷 🔺रामानुजाचार्य के मौसेरे भाई गोविन्दाचार्य माया से प्रभावित होकर कालहस्तिमें शिव आराधना करने लगे थे। 🔺उनके उज्जीवनार्थ रामानुजाचार्य श्रीशैलपुर्णाचार्य को पत्र लिखे। 🔺श्रीशैलपुर्णाचार्य कुछ शिष्योके साथ कालहस्तिपुर के लिये प्रस्थान किये। 🔺जिस जलाशयमें गोविन्दाचार्य प्रतिदिन शिव आराधना के लिये जल लेने आते थे … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय २०

प्रपन्नामृत – अध्याय 20 श्रीरामानुजाचार्य का मन्त्रार्थ प्राप्ति के लिए गोष्ठिपुर जाना 🔹एक दिन श्रीरामानुजाचार्य ने श्री महापुर्णाचार्य स्वामीजी को रहस्यात्मक तत्वोंके उपदेश के लिए प्रार्थना की। 🔹श्रीमहापुर्णाचार्य स्वामीजी ने मूलमन्त्र और द्वयमन्त्र की महिमा वर्णन किया तथा मन्त्रोंके रहस्य अर्थ गोष्ठिपुर में गोष्ठीपुर्ण स्वामीजी से प्राप्त करनेकी आज्ञा प्रदान की। 🔹रामानुजाचार्य ने श्री गोष्ठीपुर्ण … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय १९

प्रपन्नामृत – अध्याय 19 गोविन्ददास का श्रीशैलपुर्णाचार्य स्वामी से समाश्रित होना 🔹श्रीशैलपूर्णाचार्य स्वामीजी कालहस्तिपुर आकर सुवर्ण मुखरी जलाशय के निकट सहस्रगीति का कालक्षेप सुनाने लगे। 🔹वहीं शिवजी की सेवा के लिये पुष्प चुनने गोविन्दाचार्य आये और १४ वें गाथा में सुनें, “⚡जिन भगवान विष्णु के नाभिकमलसे ब्रह्मा उत्पन्न होते हैं,⚡जो चराचर समस्त जगत् के एकमात्र … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय १७

प्रपन्नामृत –  अध्याय 17 भगवान श्री रंगनाथ द्वारा यतिराज को विभूतिद्वय प्रदान 🔹यतिराज श्रीरंगम पहुंचे तो श्री रंगनाथ भगवानने विविध वाद्यघोषों के तथा वेदपाठी ब्राह्मणों के साथ उनका सम्मान करनेका आदेश श्री महापुर्णाचार्य को किये। 🔹श्री रंगनाथ भगवान भी स्वागत के लिये आगे आये। 🔹भगवान बोले, “नित्य विभूति और लीला विभूति दोनोंकी अबतक मैंने रक्षा … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय १६

प्रपन्नामृत –  अध्याय 16 यतिराज का श्रीरंगम् प्रयाण 🔸यतिराज रामानुजाचार्य काञ्चीपुरी के भक्तोंके दोषोंको दूर करके उनके बीच वैकुण्ठनाथ भगवान की तरह सुशोभित हुये। 🔸यतिराज के मामा श्रीशैलपुर्णाचार्य स्वामीजी रंगनाथ भगवान से प्रार्थना किये की वें रामानुजाचार्य को श्रीरंगम् बुला लें। 🔸रंगनाथ भगवान ने वरदराज भगवान की सेवामें पत्र भेजकर रामानुजाचार्य को भेजनेके लिये निवेदन … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय १५

प्रपन्नामृत -अध्याय 15 ♦श्री यादवप्रकाशाचार्य की शरणागति♦ 🔹श्री कुरेश स्वामीजी से पराजित होकर यादवप्रकाश अपने मठमें आये। 🔹रात को स्वप्नमें देवराज भगवान ने यादवप्रकाश से कहा, “तुम्हारी माता की वाणी सत्य है, यतिराज की शरणागति के बिना तुम्हारी मुक्ति न होगी।” 🔹अभी भी संशयग्रस्त यादवप्रकाश कुछ निर्णय नही कर पाये तो माताजी ने उन्हें यतिराज … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय १४

 प्रपन्नामृत –  अध्याय 14 विशिष्टाद्वैत दर्शन के आधारभूत तत्वों में प्रमाण  – भाग १/३ 🔺काञ्चीपुरी के पुर्व भागमें भरतजी के अंश से अवतीर्ण दाशरथि स्वामीजी का प्रादुर्भाव हुआ। 🔺अपने मामाजी रामानुजाचार्य के सन्यास का समाचार सुनकर वें रामानुजाचार्य से समाश्रित होगये। 🔺तदनन्तर श्री कुरेश स्वामीजी भी श्री रामानुजाचार्य द्वारा भगवत् शरणारगति प्राप्त किये। 🔺एक समय … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय १३

प्रपन्नामृत –  अध्याय 13 सन्यस्त श्रीरामानुजाचार्य का श्रीवरदराज भगवान द्वारा सम्मान 🔸 अनन्त सरोवर के तट पर गुरुदेव यामुनाचार्यजी का ध्यान करते हुए रामानुजाचार्य सन्यास ग्रहण किये। 🔸 देवताओंने पुष्प वर्षा और दुन्दुभिघोष की। 🔸 निराश कलि पर्वत-कन्दराओंमें अपना स्थान खोजने लगा कि कहीं पाप का विनाश ना हो जाय। 🔸 वरदराज भगवान की आज्ञा … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय १२

प्रपन्नामृत –  अध्याय 12 श्रीरामानुजाचार्य द्वारा पत्नी का परित्याग 🔸महापुर्ण स्वामीजी सपत्निक श्री रामानुजाचार्य के यहाँ रहते थे। 🔸 एक बार रामानुजाचार्य की पत्नी रक्षकाम्बा जल लाने कुँए पर गयी। उसी जगह श्रीमहापुर्णाचार्य की पत्नी भी जल लाने कुँए पर आयी थी। 🔸 अपना अपना घडा कुँए से निकालते समय महापुर्ण स्वामीजी के पत्नी के … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय ११

प्रपन्नामृत –  अध्याय 11 श्री महापुर्णाचार्य स्वामीजीसे श्रीरामानुजाचार्य का पञ्चसंस्कार ग्रहण 🔹 श्री यामुनाचार्यजी के वैकुण्ठगमन के बाद श्रीरंगम के सभी वैष्णवोंने निर्णय किया की वैष्णवरक्षक श्रीरामानुजाचार्य को महापुर्ण स्वामीजी द्वारा पञ्चसंस्कार संस्कृत करके और आल्वारोंके ग्रंथोंका अध्ययन कराके श्रीरंगम लाया जाय। 🔹 महापुर्ण स्वामीजी रामानुजाचार्य को लेने के लिये काञ्ची के लिये प्रयाण किये। … Read more