द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 6
श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्री वानाचलमहामुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 5 आल्वार् और भगवद्रामानुजाचार्य – २ परित्राणाय साधूनाम् श्रीमद्भगवद्गीता का चतुर्थाध्याय श्लोक सर्वप्रसिद्ध है | “परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् | धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे || ” सामान्य व्यक्ति को भी यह अर्थ समझ पडता है कि … Read more