प्रपन्नामृत – अध्याय ६०
श्री रामानुजाचार्य का वैभव (१) 🔹श्री विष्वक्सेनजी श्री शठकोप स्वामीजी के रूपमें भूतल का भार उतारने के लिये आये थे। 🔹परंतु संसारी जीवोंको देखकर और भगवान के विरह में भगवान का चिन्तन करते हुये एक इमलीवृक्ष के कोटरमें जीवन व्यतीत किये। 🔹जीवोंको कोई उपदेश न दे पाये तब उन्होने विचार किया की श्री आदिशेष … Read more