प्रपन्नामृत – अध्याय ३०

प्रपन्नामृत – अध्याय ३० यतिराज का श्री शैलपुर्णाचार्य स्वामीजी से रामायण का अर्थ सुनना भाग – १ श्रीरामानुजाचार्य वेंकटाचल को प्रणाम कर चढना प्रारम्भ किये श्रीशैलपुर्णाचार्य स्वामीजी स्वयं अगवानी करके स्वागत के लिये आये रामानुजाचार्य ने पुछा आप स्वयं क्यों आये? किसी बालक को भेजदेते तो श्रीशैलपुर्णाचार्य बोले “मुझे छोड़कर वेंकटाचलमें कोई बालक नही” विविध … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय २९

प्रपन्नामृत – अध्याय २९ श्रीरामानुजाचार्य की वेंकटाचल यात्रा 🔸उधर आचार्य नहीं आयेंगे यह सुनकर रामानुजाचार्य का धनी शिष्य दु:खी हुवा और रामानुजाचार्य के सन्निकट जाकर चरणोंमें गिरकर रोने लगा। 🔸रामानुजाचार्य बोले, ✅पंचसंस्कार, भगवान की सेवा, अर्थपंचक विज्ञान गुरुकृपा से ही प्राप्त होता है, परंतु आत्मोज्जीवन के लिये श्रीवैष्णव अतिथियोंका पूजन आवश्यक है। ✅थके माँदे वैष्णवोंको … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय २८

प्रपन्नामृत – अध्याय २८ भगवत् प्रसाद को ग्रहण करके वैश्य की बुद्धि विमल हो गयी 🔹दरिद्र ब्राह्मण वरदाचार्य जब बाहर से आये और तृप्त गुरुको देखा तो पत्निपर बडे प्रसन्न हुये। 🔹तदनन्तर ब्राह्मणपत्नि ने स्वयं जाकर उस महाजन को भगवत् प्रसाद दिया। 🔹परन्तु भगवत् प्रसाद पाकर उसकी बुद्धि विमल हो गयी। 🔹उसके हृदयमें ज्ञान उत्पन्न … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय २७

  प्रपन्नामृत – अध्याय २७ यतीन्द्र श्रीरामानुजाचार्य का दरिद्र ब्राह्मण श्री वरदाचार्य के यहाँ आगमन 🔹रामानुजाचार्य की आज्ञा से श्री अनन्ताचार्य वेंकटाचलपर पुष्प-तुलसी का उद्यान लगाकर वेंकटेश भगवान की सेवा करने लगे। 🔹एक बार रामानुजाचार्य चित्रकूृट के समीप सहस्र नामक ग्राम में आरहे थे। 🔹उस ग्राममें उनके यज्ञेश नामक एक धनी तथा वरदाचार्य नामक एक … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय २६

प्रपन्नामृत – अध्याय २६ श्री यज्ञमूर्ति (श्री देवराजमुनि स्वामी) पर श्रीरामानुजाचार्य की कृपा 🔻रामानुजाचार्य ने देवराजमुनि के लिये एक विशाल मठ बनवाया। 🔻रामानुजाचार्य ने समाश्रयण के लिये पधारेे अनेक भक्तगणोंको देवराजमुनि से समाश्रित करवाया। 🔻रामानुजाचार्य ने देवराजमुनि को वरदराज भगवान का नित्य कैंकर्य करनेकी आज्ञा प्रदान की। 🔻देवराजमुनि स्वामीजी ने ज्ञानसारम् एवं प्रमोयसारम् नामक दो … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय २५

प्रपन्नामृत – अध्याय २५ शारदाशोकनाशक श्रीरामानुजाचार्य का यज्ञमूर्ति को पराजित करना 🔺यज्ञमूर्ति नामक मायावादी सन्यासी रामानुजाचार्य को वादविवादमें पराजित करने के लिये आये। 🔺साथमें बहोतसारे ग्रंथ गाडीपर लादकर ले आये। 🔺वादविवाद १८ दिन तक चला। 🔺यज्ञमूर्ति की कुयुक्तियोंके कारण श्रीवैष्णव दर्शन पराजित होजायेगा ऐसा प्रतीत हो रहा था। 🔺रामानुजाचार्य ने वरदराज भगवान को सम्प्रदाय के … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय २४

प्रपन्नामृत – अध्याय २४ यतीन्द्र श्रीरामानुजाचार्यजी के विषप्रदान 🔹रामानुजाचार्य गद्यत्रय तथा भगवदाराधन विधी की रचना कर “श्रीमन्नारायण ही परतत्व हैं” इस बात को सिद्ध करदिये। 🔹रामानुजाचार्य का यह शासन कुछ अर्चकोंको यह बन्धन सा प्रतीत होने लगा। 🔹उनमेसे प्रधान अर्चकने किसी लोभी ब्राह्मण को रामानुजाचार्य को विष देनेको कहा। 🔹लोभी ब्राह्मण की पत्नी ने अपनी … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय २३

प्रपन्नामृत – अध्याय २३ परमपुरुषार्थ के साधनभूत रहस्य 🔸गोष्ठीपुर्ण स्वामीजी के आदेश से रामानुजाचार्य श्री मालाधर स्वामीजी से सहस्रगीति का व्याख्यान नित्यप्रति सुनने लगे। 🔸एकबार रामानुजाचार्य ने एक गाथा के अर्थ पर आपत्ति दर्शायी। 🔸मालाधर स्वामीजी ने तभीसे सहस्रगीति का कालक्षेप बंद कर दिया। 🔸गोष्ठीपुर्ण स्वामीजी ने मालाधर स्वामीजी से कहा “रामानुजाचार्य श्री यामुनाचार्यजी के … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय २२

प्रपन्नामृत – अध्याय २२ यतीन्द्र श्रीरामानुजाचार्य द्वारा श्रीकुरेश तथा श्रीदाशरथि स्वामी को चरम श्लोकोपदेश 🔷श्री कुरेश स्वामीजीके प्रार्थना करनेपर श्रीरामानुजाचार्य ने उन्हे एक मास का उपवास करवाकर फिर चरम श्लोकार्थ प्रदान किया। 🔷श्री दाशरथि स्वामीजीनें भी चरम श्लोकार्थ के लिये प्रार्थना की। 🔷रामानुजाचार्य नें उन्हे गोष्ठीपुर्ण स्वामीजी के पास जानेके लिये कहा। 🔷श्री दाशरथि स्वामीजी … Read more

प्रपन्नामृत -अध्याय २१

प्रपन्नामृत -अध्याय 21 🔸शारदा शोक नाशक श्रीरामानुजाचार्य का गोष्ठीपुर्ण स्वामीजी से मन्त्रार्थ प्राप्त करना🔸 🔺रामानुजाचार्य अपने दो शिष्य कुरेश और दाशरथि के साथ गोष्ठीपुर्ण स्वामीजी से मन्त्रार्थ प्राप्त करने आये। 🔺गोष्ठीपुर्ण स्वामीजी ने कहा, “मैंने आपको अकेले आने के लिये कहा था”। 🔺रामानुजाचार्य बोले, “दाशरथि मेरे त्रिदण्ड तथा कुरेश मेरे यज्ञोपवीत के प्रतीक हैं जो … Read more