श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्रीशैलेशदयापात्रं धीभक्त्यादि गुणार्णवम् ।
यतीन्द्रप्रवणं वन्दे रम्यजामातरं मुनिम् ॥
(मैं रम्यजामातरं मुनि (श्रीवरवरमुनि स्वामीजी) को पूजता हूँ जो श्रीशैलेश स्वामीजी के कृपा पात्र हैं, जो गुणों के समुन्द्र हैं जैसे ज्ञान, भक्ति, आदि और जिन्हें भगवद श्रीरामानुज स्वामीजी (यतियों के राजा) के प्रति अति स्नेह हैंI)
श्रीसठारी गुरोर्दिव्य श्रीपादाब्ज मधुव्रतम।
श्रीमतयतीन्द्रप्रवणं श्री लोकार्य मुनिं भजे।।
(मैं श्रीपिल्लै लोकम जीयर स्वामीजी कि वन्दना करता हूँ जो कमल से शहद निकलने के समान हैं, श्री सठारिगुरु के दिव्य चरण कमल के समान हैं और जिन्होंने यह प्रबंधम श्रियतीन्द्र प्रवणम् कि रचना की है।)
गुरुनाथनेग्कण् मणवाळयोगि गुणक्कडलैप्
पलनाळुम् अन्डिप्परुगिक् कळित्तिन्दप् पारिनुळ्ळे ।
उलहारियन् मुनिमेगम् इन्नाळेन्नुळ्ळम् कुळिर
नलमान सीर्मै मऴै नाळुम् पोऴिन्ददु इन्निलत्ते ॥
(हमारे आचार्य (श्रीपिल्लै लोकम जीयर स्वामीजी) श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के दिव्य गुणों का आनन्द लेते थे। इस् संसार् में बादल के समान श्रीपिल्लै लोकम जीयर स्वामीजी अप्नि महोन्नत गुणों के वर्षा प्रतिदिनम इस जगत मैं बरस्रहे हैं।)
आदार – https://granthams.koyil.org/2021/07/15/yathindhra-pravana-prabhavam-thaniyans-english/
अडियेन् केशव् रामानुज दास्
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