श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः
<< ब्रह्मा के अभिमान को दूर करना
श्रीकृष्ण, बलराम अन्य गोपाल सखाओं के साथ वन में प्रसन्नचित्त होकर खेल रहे थे। तभी सभी ग्वाल-बालों ने बताया कि तालवन (ताड़ के वृक्षों का समूह) नामक स्थान है जहां परिपक्व मीठे फल हैं। परन्तु वहां गर्दभाकार धेनुकासुर नाम का एक राक्षस रहता है जो बहुत उपद्रव करता है। वह श्रीकृष्ण के आगमन की ही प्रतीक्षा कर रहा था। वह भी श्रीकृष्ण को मारने के लिए कंस के द्वारा भेजा गया था।
यह सब ज्ञात होते ही श्रीकृष्ण और बलराम तालवन की ओर प्रस्थान करते हैं। बलराम ने फलों से लदे वृक्षों को हिलाना आरम्भ किया जिससे फल वृक्षों से नीचे गिरने लगे। फलों के गिरने की ध्वनि सुनकर धेनुकासुर भयंकर क्रोध में बलराम के सम्मुख आ गया। बलराम ने उसको पीछे के पैरों से पकड़कर उठाया और धरती पर पटक दिया जिससे वह मूर्च्छित हो गया। और भी राक्षस आक्रमण करने आए परन्तु श्रीकृष्ण और बलराम ने मिलकर उन सभी को मार डाला और धेनुकासुर का भी वध हो गया।
इस लीला को आऴ्वारों ने कई पासुरों में वर्णित किया है कि श्रीकृष्ण ने धेनुकासुर का वध किया। पेरियाऴ्वार् ने पेरियाऴ्वार् तिरुमोऴि में “धेनुकन् आवि सॆगुत्तुप्प् पनङ्गनि तान् ऎरिन्दिट्ट“ (धेनुकासुर को ताड़ के वृक्ष पर फेंक कर मार दिया)। आण्डाळ् ने नाच्चियार् तिरुमोऴि में कहा कि “काट्टै नाडित् तेनुगनुम् कळिऱुम् पुळ्ळुम् उडन् मडिय वेट्टैयाडि वरुवानै विरुन्दावनत्ते कण्डोमे” (हमने श्रीकृष्ण को धेनुकासुर, कुवलयापीड हाथी और बकासुर का वध करने के लिए और आखेट के लिए वन की ओर जाते देखा है)। इसके अतिरिक्त तिरुमऴिशै आऴ्वार् करुणापूर्वक धेनुकासुर वध की लीला को ८० वें पासुर में विस्तारपूर्वक वर्णन करते हैं –“वासियागि नेसमिन्ऱि वन्दॆदिर्न्द देनुकन् नासमागै नाळ् उलप्प नन्मै सेर् पनङ्गनिक्कु वीसि मेल् निमिर्न्द तोऴिल् इल्लै आक्किनाय् कऴऱ्-कु आसैयाम् अवर्क्कलाल् अमरर् आगलागुमे” (श्री कृष्ण के दिव्य चरण कमलों के अतिरिक्त मोक्ष प्राप्ति का कोई भी अन्य उपाय नहीं है जिन्होंने गर्दभाकार धेनुकासुर को ताड़ के वृक्षों के फलों पर पटककर वध कर दिया)।
सार-
- भगवान के विनाश के लिए प्रयास करने वाले का विफलता के साथ अन्त होता है।
- जब भगवान हमारे संग होते हैं तब सभी ओर से मङ्गल ही होता है।
अडियेन् अमिता रामानुजदासी
आधार – https://granthams.koyil.org/2023/09/12/krishna-leela-13-english/
प्रमेय (लक्ष्य) – https://koyil.org
प्रमाण (शास्त्र) – https://granthams.koyil.org
प्रमाता (आचार्य) – https://acharyas.koyil.org
श्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – https://pillai.koyil.org