श्रीवचन भूषणम् – सूत्रं ६४

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका यह पूछे जाने पर कि “यदि भगवान चेतन की अनुमति की अपेक्षा करके रक्षा करते हैं, तो क्या वह अनुमति साधन नहीं बन जाएगी?” श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी कृपापूर्वक उत्तर देते हैं। सूत्रं – ६४ ऎल्ला उपायत्तुक्कुम् पॊदुवागैयालुम्, चैतन्य … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ६३

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका यह पूछे जाने पर कि “फिर भी, क्योंकि यह कहा जाता है कि सर्वेश्वर जो रक्षक है, सुरक्षा किए जाने वाले चेतन की इच्छा की अपेक्षा करेगा, जैसा कि लक्ष्मी तंत्रम् १७.७९ में कहा गया है “रक्ष्यापेक्षां प्रतीक्षिते” … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ६२

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका यह पूछे जाने पर कि “फिर भी, जब किसी को संसार में स्वयं की भयानक स्थिति की अनुभूति होती है, जैसा कि जिथन्ते स्तोत्रम १.४ ‘अनन्त क्लेश भाजनम्’ (सभी दुखों का निवास) में कहा गया है, तो क्या … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ६१

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका यह पूछे जाने पर कि “अन्यथा [यदि पिछले सूत्र में कहे अनुसार स्वीकार नहीं किया जाता है], यदि चेतना को कुछ और करने की भी आवश्यकता है तो हानि क्या है?” श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी इस सूत्र में कृपापूर्वक … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ६०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका यह पूछे जाने पर कि “यदि प्रपत्ती साधन नहीं है तो क्या चेतन को लक्ष्य प्राप्त करने के लिए किसी भी वस्तु की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए?” श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक उत्तर देते हैं। सूत्रं – ६० फलत्तुक्कु आत्म ज्ञानमुम् अप्रतिषेधमुमे … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ५९

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका कोई विशेष परिचय नहीं. सूत्रं – ५९ इदु इरण्डैयुम् पॊऱादु। सरल अनुवाद  यह (प्रपत्ती) दोनों (स्वयं और दूसरों) को सहन नहीं करेगी। व्याख्या इदु इरण्डैयुम् पॊऱादु। अर्थात् यह प्रपत्ती सभी प्रयासों को त्यागने के रूप में, सिद्धोपाय की स्वीकृति … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ५८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका कोई विशेष परिचय नहीं सूत्रं – ५८ उपायान्तरम् इरण्डैयुम् पॊऱुक्कुम्। सरल अनुवाद  अन्य उपाय दोनों (स्वयं और दूसरों) को सहन करेंगे। व्याख्या उपायान्तरम् इरण्डैयुम् पॊऱुक्कुम् अन्य उपाय जो साध्योपाय के रूप में जाने जाते हैं (उपाय व्यक्तिगत प्रयास से … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ५७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका सूत्र ५७, ५८ और ५९ के लिए सामान्य परिचय। प्रपत्ती के अनुपायत्वम (साधन नहीं) को दृढ़ता से स्थापित करने के लिए श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी सिद्धोपाय (भगवान, आसानी से उपलब्ध साधन) और साध्योपाय (अन्य उपाय, जो व्यक्तिगत प्रयासों से स्थापित … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ५६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका यह पूछे जाने पर कि “क्योंकि यह (प्रपत्ती) अंगम (सहायक चरणों) के साथ निर्धारित किया गया है  तो क्या यह नियम “यत् यत् साङ्गम्, तत् तत् साधनम्”  (जिसमें भी सहायक चरण/अंग है उसे साधन माना जाएगा), यहाँ लागू नहीं … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ५५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब पूछा गया “उस विषय में, प्रपत्ती की वास्तविक प्रकृति क्या है?” श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी  दयापूर्वक समझाते हैं। सूत्रं – ५५ इदु तनक्कु स्वरूपम् तन्नैप् पॊऱादॊऴिगै। सरल अनुवाद प्रपत्ती का वास्तविक स्वरूप यह है कि वह स्वयं को उपाय … Read more