श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४७
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब पूछा गया कि “क्या ये तीनों विषय वहाँ प्रपत्ती के कारण होंगे (‘ऎन् नान् सॆय्गेन्‘ पाशुर में)?” श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक कहते हैं सूत्रं – ४७ अङ्गु ऒन्ऱैप् पट्रि इऱुक्कुम् । सरल अनुवाद यह उन विषयों में से … Read more