श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम:
अवतारिका
सूत्र २३ “प्रपत्तिक्कु देश नियममुम्” से प्रारम्भ होकर यहाँ तक, स्थान, समय आदि द्वारा प्रतिबंध की कमी और प्रपत्ती के लक्ष्य के आधार पर प्रतिबंध जो कि उपाय वरण (पूर्व में देखा कि भगवान, उपाय (साधन) होते हुए उनको पाना); शरणागति के लक्ष्य का विवरण दिखाने के पश्चात, श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी, भगवत शास्त्र (श्री पंचरात्र आगम) आदि में दर्शाए गए अधिकारी (योग्य व्यक्ति) के विवरण प्रकट करने की दिव्य इच्छा से, दयापूर्वक इसकी व्याख्या करना प्रारम्भ करते हैं।
सूत्रं – ४१
इदिल् प्रपत्ती पण्णुम् अधिकारिगळ् मूवर्।
सरल अनुवाद
३ प्रकार के अधीकारी हैं जो अर्चा अवतार की शरणागति करते हैं।
व्याख्या
इदिल् प्रपत्ती पण्णुम् अधिकारिगळ् मूवर्
अर्थात् – जो अधिकारी इस अर्चावतार के प्रति शरणागति करते हैं, जो कि सौलभ्य आदि गुणों के कारण उपयुक्त लक्ष्य है, उनके शरणागति के हेतु में अंतर के आधार पर, तीन श्रेणियाँ हैं।
अडियेन् केशव रामानुज दास
आधार: https://granthams.koyil.org/2021/02/07/srivachana-bhushanam-suthram-41-english/
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