श्रीवचन भूषण – सूत्रं ११८

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ये ज्ञानियों के लिए कैसे विनाशकारी हैं?

सूत्रं११८

अपायमाय्त्तदु स्वरूप नाशकम् आगैयाले।

सरल अनुवाद

ये विनाशकारी इसलिए हैं क्योंकि ये आत्मा के वास्तविक स्वरूप को नष्ट कर देते हैं।

व्याख्या

अपायमाय्त्तदु स्वरूप नाशकम् आगैयाले।

स्वरूप – पूर्ण पराधीनता; कोई भी वस्तु जिसमें स्वयं का प्रयास सम्मिलित हो, पूर्ण पराधीनता को नष्ट कर देगी।

अडियेन् केशव् रामानुज दास

आधार: https://granthams.koyil.org/2021/06/02/srivachana-bhushanam-suthram-118-english/

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