श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम:
<< पूर्व
अवतारिका
ये ज्ञानियों के लिए कैसे विनाशकारी हैं?
सूत्रं – ११८
अपायमाय्त्तदु स्वरूप नाशकम् आगैयाले।
सरल अनुवाद
ये विनाशकारी इसलिए हैं क्योंकि ये आत्मा के वास्तविक स्वरूप को नष्ट कर देते हैं।
व्याख्या
अपायमाय्त्तदु स्वरूप नाशकम् आगैयाले।
स्वरूप – पूर्ण पराधीनता; कोई भी वस्तु जिसमें स्वयं का प्रयास सम्मिलित हो, पूर्ण पराधीनता को नष्ट कर देगी।
अडियेन् केशव् रामानुज दास
आधार: https://granthams.koyil.org/2021/06/02/srivachana-bhushanam-suthram-118-english/
प्रमेय (लक्ष्य) – https://koyil.org
प्रमाण (शास्त्र) – https://granthams.koyil.org
प्रमाता (आचार्य) – https://acharyas.koyil.org
श्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – https://pillai.koyil.org