श्री वैष्णव लक्षण – ३
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवर मुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नमः श्री वैष्णव लक्षण << पूर्व अनुच्छेद आचार्य–शिष्य संबंध उदैयवर (श्रीरामानुज स्वामीजी)– आलवान (श्री कुरेश स्वामीजी)- आदर्श आचार्य और् शिष्य – कूरम पिछले लेख में हमने देखा कि पञ्च संस्कार हमारे श्रीवैष्णव जीवन को प्रारम्भ करता है। हमने आचार्य और शिष्य के … Read more