यतीन्द्र प्रवण प्रभावम – भाग १०

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नमः  श्रीमते रामानुजाय नमः  श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम << भाग ९ श्री ईयुण्णि माधव पेरुमाळ् स्वामीजी का वैभव  श्रीकलिवैरिदास स्वामीजी से ईडु मुप्पत्ताऱायिरम् (श्रीकृष्णपाद स्वामीजी द्वारा लिखा हुआ व्याख्या जो श्रीकलिवैरिदास स्वामीजी के कालक्षेप पर आधारित हैं) प्राप्त करने के पश्चात श्री ईयुण्णि  माधवप्पेरुमाळ् स्वामीजी ने इस व्याख्या को अपने पुत्र … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम – भाग ९

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नमः  श्रीमते रामानुजाय नमः  श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम << भाग ८ श्रीपेरियवाच्चान पिळ्ळै स्वामीजी का वैभव  श्रीकलिवैरिदास स्वामीजी तिरुनाडु (श्रीवैकुंठ) को प्राप्त करने के पश्चात श्रीपेरियवाच्चान पिळ्ळै स्वामीजी ने इस सम्प्रदाय (श्रीवैष्णव तत्त्व) कि बाग डोर को अपने हाथ में लियें और श्रीकलिवैरिदास स्वामीजी के सभी शिष्यों को एकत्रित किया। श्रीनडुविल् … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम – भाग ८

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नमः  श्रीमते रामानुजाय नमः  श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम << भाग ७ एक समय श्रीकलिवैरिदास स्वामीजी और उनके शिष्य श्रीरङ्गम् में श्रीवैष्णव संप्रदाय को देख्बाल कर्ते हुये  निवास कर रहे थे, वहाँ एक स्त्री थी जो स्वामीजी कि शिष्या भि थी,और स्वामीजी के तिरुमळिगै के सटे हुए तिरुमळिगै में रहती थी। एक … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम – भाग ७

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नमः  श्रीमते रामानुजाय नमः  श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम << भाग ६ श्रीकलिवैरिदास स्वामीजी एक बार एक व्यक्ति जिसका नाम पेरिय कोयिल् वळ्ळलार् हैं उनसे पूछा की श्रीपरकाल स्वामीजी द्वारा रचित तिरुमोऴि के पहिले पद्य का अर्थ बताये, १-१-९ पाशुर कुलं तरुं (यह पाशुर श्रीमन्नारायण के दिव्य नाम संकीर्तन करने के लाभ … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम – भाग ६

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नमः  श्रीमते रामानुजाय नमः  श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम << भाग ५ श्रीकलिवैरिदास स्वामीजी की दो पत्नीयाँ थी। पहिली पत्नी एक दिन प्रसाद बनाती थी और दूसरे दिन दूसरी पत्नी। जब ऐसे हीं प्रतिदिन चल रहा था तब श्रीकलिवैरिदास स्वामीजी ने अपनी पहिली पत्नी को बुलाकर कहा “आप मेरे विषय में अपने … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम – भाग ५

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नमः  श्रीमते रामानुजाय नमः  श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम << भाग ४ श्रीकलिवैरिदास स्वामीजी ओन्बदिनायिरप्पडि को विशिष्ट अर्थो के साथ उनके शिष्य श्रीपेरियवाच्चान पिळ्ळै को सिखाना प्रारम्भ किया। श्रीपेरियवाच्चान पिळ्ळै ने प्रतिदिन इन अर्थों का पट्टोंलै (ताड़ के पत्ते पर पहिली प्रति) बनाना प्रारम्भ किया। कालक्षेप के अन्त में उन सभी हस्तलिपि … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम – भाग ४

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नमः  श्रीमते रामानुजाय नमः  श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम << भाग ३ लगभग उस समय एक व्यक्ति  जिन्का नाम देवराज (नम्बूर वरदराजर) था,वह पदुगै चक्रवर्ती मन्दिर के समीप रहता था। उन्हे सभी सामान्य और प्रतिष्ठित जन पसंद करते थे।  वह बड़ा दयालु और सत्व गुणों का प्रदर्शन करता था। श्रीवेदांती स्वामीजी को … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम – भाग ३

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नमः  श्रीमते रामानुजाय नमः  श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम << भाग २ इन दोनों भाईयों ने कृपाकर तत्वरहस्यम (सच्चे अस्तित्व के रहस्यों के बारे मे) से प्रारम्भ कर कई प्रबंधों कि रचना कि, १०० वर्ष से भी अधिक विराजमान होकर, कई महान जनों ने अपनी जीविका को छोड़ कर श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी के … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम – भाग २

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नमः  श्रीमते रामानुजाय नमः  श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम << भाग १ एक दिन श्रीकलिवैरिदास स्वामीजी अपने दिन नित्य कालक्षेप करने के पश्चात अकेले विश्राम कर रहे थे जब अम्मी, उनके एक शिष्य वडक्कु तिरुवीदिप्पिळ्ळै कि माताजी दण्डवत प्रणाम कर उनके बगल में खड़ी हो गयी। उन्होने बड़ी करुणा से उनकी ओर … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम – भाग १

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नमः  श्रीमते रामानुजाय नमः  श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम << तनियन श्रीय:पति, श्रीमहालक्षमीजी के पति, बड़ी कृपा कर आल्वार श्रीशठकोप स्वामीजी, श्रीपरकाल स्वामीजी, श्रीविष्णुचित्त स्वामीजी जैसे महानों को इस संसार में हम सांसारियों (भोगार्थी) को कलियुग कि नरक से मुक्त करने हेतु अवतरित किया। तत्पश्चात् उन्होने कृपा कर श्रीनाथमुनि स्वामीजी और श्रीयामुनाचार्य … Read more