यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ७०
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ६९ श्रीवरवरमुनि स्वामीजी ने तिरुवालि तिरुनगरि में श्रीपरकाल स्वामीजी कि पूजा किये तत्पश्चात जैसे इस श्लोक में उल्लेख हैं अहिराजशैलमपितो निरन्तरं बृतनाशते नसविलोकयन् ततः। अवरुह्य दिव्यनगरं रमास्पदं भुजकेशयं पुनरुपेत्यपुरुषम्॥ (उन श्रीवरवरमुनि स्वामीजी ने अपने शिष्यों के साथ अपने नेत्र को बंद किये बिना … Read more