यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ५०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ४९ आऴ्वार्तिरुनगरि में श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के कुटीर में आग लगना  श्रीवरवरमुनि स्वामीजी का अक्षुण्ण यश और बढ़ती हुए विभूति को देखकर कुछ दुष्ट उनसे जला करते थे। एक दिन जब वें रात में अकेले अपने कुटीर में ध्यान लगाये हुए थे … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ४९

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ४८ श्रीवरवरमुनि स्वामीजी और तिरुनारायणपुरम् आयि के मध्य में बैठक  जब श्रीवरवरमुनि स्वामीजी कृपाकर आचार्य हृदयम् [श्रीशठकोप स्वामीजी के श्रीसहस्रगीति पर श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य​ के अनुज श्रीअऴगियमणवाळप्पेरुमाळ् ​ नायनार् द्वारा रचित गूढ संकलन] के २२वें सूत्र को समझा रहे थे तो जो वें अर्थ … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ४८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ४७ जैसे श्लोक में कहा गया  यानियानिच दिव्यानि देशे देशे जगन्तितेः।तानि तानि सम्स्तानि स्थानि समसेवत॥ (राह में जहाँ जहाँ भगवान दिव्य स्थान पर निवास किये हैं उन्होंने उन सभी स्थानों पर उनके दिव्य चरणों कि पूजा किये) वें राह में सभी स्थानों … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ४७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ४६ आण्डपेरुमाळ्  कन्दाडै अण्णन् के शरण होते हैं  एक दिन श्रीवरवरमुनि स्वामीजी शुद्धस्तवम् अण्णा को बुलाकर बड़ी दया से उन्हें कहते हैं “श्रीमान बहुत भाग्यशाली हैं जैसे श्रीमधुरकवि स्वामीजी श्रीशठकोप स्वामीजी के प्रति थे वैसे श्रीमान भी पसंद किये जानेवाले व्यक्ति अण्णन् … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ४६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ४५ अण्णन् श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के शरण होते हैं  तत्पश्चात जैसे इस श्लोक में कहा गया हैं  रामानुजपदाम्बोज सौगन्द्य निदयोपियेअसाधारण मौनत्यमवधूय निजम्दिया।उत्तेजयन्तः स्वात्मानं तत्तेजस्सम्पदा सदास्वेषामतिशयं मत्वा तत्वेन शरणं ययुः॥ (जिन्होंने श्रीरामानुज स्वामीजी के दिव्य चरणों से सुगन्ध का धन प्राप्त किया हो, महानता … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ४५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ४४ अण्णन् का अपने सम्बंधीयों सहित जीयर् स्वामीजी के मठ कि ओर प्रस्थान करना  जीयर् स्वामीजी के मठ में समाश्रयण के लिये नहीं जाने के लिये उन सम्बंधीयों में एम्बा ने कुछ का मन परिवर्तन कर दिया। कन्दाडै अण्णन् को इस विषय … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ४४

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ४३ अण्णन् ने जीयर् स्वामीजी के शरण होने का निर्णय किया  तदागतां तां व्यतिदामनिन्दितां व्यभेदहर्षां परिधीनमानसाम्।शुभान्निमित्तानि शुभानिभेजिरे नरंश्रियाजुष्टमिवोपजीविनः ॥ (जैसे निधन जनों को धनी व्यक्ति मिलता और लाभ प्राप्त होता हैं, कुछ शुभ संकेतों से सीता माता प्राप्त कर स्वयं को खायम … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ४३

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ४२ कन्दाडै अण्णन्  का स्वप्न  एक श्रीवैष्णव सीढ़ी से ऊपर से नीचे आये और उसके साथ लाये एक कोड़े से कन्दाडै अण्णन्  पर बरसे। हालाकि अण्णन् में उनके दण्ड को रोखने कि क्षमता थी पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने यह विचार … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ४२

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ४१ जब आच्चि अपने पिताजी के तिरुमाळिगै में निवास कर रही थी तब कन्दाडै  अण्णन् के पिताजी देवराज तोऴप्पर् का श्राद्ध (तीर्थम्) होना था। अण्णन् ने आच्चि को बुलाया श्राद्ध के लिये प्रसाद बनाने को कहा। आच्चि भी वहाँ गई और पूर्ण … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ४१

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ४० तिरुमञ्जनमप्पा कि पुत्री श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के शरण हुई  एक प्रात: काल जब जीयर् अपने दिव्य स्नान हेतु कावेरी नदी कि ओर जा रहे थे तब अचानक ज़ोर से वर्षा होने लगी। इसलिये जीयर् राह में किसी के तिरुमाळिगै के बैठक में … Read more