श्रीवचन भूषण – सूत्रं ३८
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी उस विषय की व्याख्या कर रहे हैं जो पहिले “इक्कुणङ्गळ् प्रकाशिप्पदु इङ्गे” में (ये गुण यहाँ प्रकाशमान हैं) कहा गया था। सूत्रं – ३८ पूर्तियैयुम् स्वातंत्र्यत्तैयुम् कुलैत्तुक् कॊण्डु, तन्नै अनादिक्किऱवर्गळै तान् आदरित्तु निऱ्-किऱ इडम्। सरल … Read more