श्रीवचन भूषण – सूत्रं ११९
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी ज्ञानियों में अग्रणी श्रीशठकोप स्वामीजी (नम्माऴ्वार्) के शब्दों के माध्यम से उस विपत्तिपूर्ण प्रकृति को दर्शाते हैं। सूत्रं – ११९ “नॆऱिकाट्टि नीक्कुदियो” ऎन्ना निन्ऱदिऱे। सरल अनुवाद श्रीशठकोप स्वामीजी ने पेरिय तिरुवन्ददि ६ में कहा “नॆऱि काट्टि … Read more