श्रीवचन भूषण – सूत्रं ८७
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी समझाते हैं कि इसका क्या अर्थ है, “जब यह (भगवान तक पहुँचने के साधन के रूप में अपने शरीर को त्यागना) नियम के रूप में आता है तो इसे पूरी तरह से त्यागना पड़ता है और … Read more