श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७२

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब उनसे पूछा जाता है कि “ऐसी स्थिति में, यदि स्वयं-प्रयत्न और स्वयं-आनंद में कोई संलग्नता नहीं है, तो चेतन के प्रयास और चेतन का उद्देश्य क्या है?” तो श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक समझाते हैं। सूत्रं – ७२ परप्रयोजन … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७१

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी इस शंका को स्पष्ट करते हैं, “किन्तु, क्योंकि चेतन में कर्तृत्व (कर्ता होना) और भोक्तृत्व (भोक्ता होना) है, जो कि ज्ञानार्थ (ज्ञाता होना) का प्रभाव है, इसलिए वह आत्म-प्रयास में संलग्न होने और आत्म-आनंद की खोज … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब पूछा गया तो श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक उत्तर देते हैं कि “यद्यपि प्रापक (जो परिणाम प्रदान करता है) ईश्वर है, तो क्या चेतना ही प्राप्ता (जो परिणाम प्राप्त करता है) और प्राप्तिक्कु उगप्पान् (जो परिणाम का आनंद लेता … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ६९

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी इस सिद्धांत की विश्वसनीयता स्थापित करने के लिए दयापूर्वक श्रीवेदांति स्वामीजी के शब्दों को उद्धृत करते हैं (भगवान ही एकमात्र साधन हैं)। सूत्रं – ६९ “अन्तिम कालत्तुक्कुत् तञ्जम् इप्पोदु तञ्जम् ऎन् ऎन्गिऱ निनैवु कुलैगै ” ऎन्ऱु … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ६८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब पूछा गया कि “यह आज तक सफल क्यों नहीं हुआ?” श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी उत्तर देते हैं। सूत्रं – ६८ अदु पलिप्पदु इवन् निनैवु माऱिनाल्। सरल अनुवाद यह तभी फलीभूत होगा, जब चेतन का विचार बदलेगा। व्याख्या अदु पलिप्पदु … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ६७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब पूछा गया कि “उसके मन में ऐसा विचार कब आता है?” श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी उत्तर देते हैं। सूत्रं – ६७ अदुदान् ऎप्पोदुम् उण्डु। सरल अनुवाद वही (विचार) निरंतर है। व्याख्या अदुदान् ऎप्पोदुम् उण्डु। ऎप्पोदुम् सदा, निरंतर- जब चेतन … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ६६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका यह पूछे जाने पर कि “इस प्रकार, यदि चेतन में ऐसा कुछ भी नहीं है जो साधन (उपायम्) मानने योग्य हो, तो वह कौन सा साधन है जो उसे परिणाम देता है?” श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी उत्तर देते हैं। सूत्रं … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ६५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब पूछा गया, “ऐसी स्थिति में, क्या अचित पदार्थ से पृथक होने के लिए [भगवान को उपाय के रूप में स्वीकार करने में] कोई हेतु होना चाहिए?”, तब पिळ्ळै लोकाचार्य कृपापूर्वक इसका उत्तर देते हैं। सूत्रं – ६५ अचित … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ६४

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका यह पूछे जाने पर कि “यदि भगवान चेतन की अनुमति की अपेक्षा करके रक्षा करते हैं, तो क्या वह अनुमति साधन नहीं बन जाएगी?” श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी कृपापूर्वक उत्तर देते हैं। सूत्रं – ६४ ऎल्ला उपायत्तुक्कुम् पॊदुवागैयालुम्, चैतन्य … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ६३

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका यह पूछे जाने पर कि “फिर भी, क्योंकि यह कहा जाता है कि सर्वेश्वर जो रक्षक है, सुरक्षा किए जाने वाले चेतन की इच्छा की अपेक्षा करेगा, जैसा कि लक्ष्मी तंत्रम् १७.७९ में कहा गया है “रक्ष्यापेक्षां प्रतीक्षिते” … Read more