த்ரமிடோபநிஷத் ப்ரபாவ ஸர்வஸ்வம் 1

ஸ்ரீ:  ஸ்ரீமதே சடகோபாய நம:  ஸ்ரீமதே ராமாநுஜாய நம:  ஸ்ரீமத் வரவரமுநயே நம: த்ரமிடோபநிஷத் ப்ரபாவ ஸர்வஸ்வம்   ராமானுஜரும் திவ்யப்ரபந்தமும் ஆழ்வார்களால் அருளிச்செய்யப்பட்ட திவ்யப்ரபந்தம் முக்கிய ப்ரமாணமாக கருதப்படுவதால், ராமாநுஜருக்கும் திவ்யப்ரபந்தங்களுக்கும் உள்ள தொடர்பை இப்பொழுது அனுபவிக்கலாம். ஜ்ஞானத்தில் ஈடுபாடு உள்ளவர் அவர் கற்றுக் கொள்ள விரும்பும் சித்தாந்தத்தை, ஒரு ஆசாரியன், வித்வான் அல்லது சிஷ்யனின் நிலையிலிருந்தோ கற்றுக் கொள்ளலாம். ஒரு ஆசாரியன் அல்லது வித்வான் நிலையிலிருந்து கற்றுக் கொள்ள விருப்பம் உள்ளவர் மற்றவர்களுக்கு அந்த … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 15

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 14 मूल लेखन – पेरुमाल कोइल श्री उभय वेदांत प्रतिवादि अन्नन्गराचार्य स्वामी हिंदी अनुवाद – कार्तिक श्रीहर्ष श्रीभट्टानाथ-मुखाब्ज- मित्रह: हम श्रीमद् भगवतगीता में आल्वारों के पदों का परिणाम हुआ जो उन्होंने श्रीरामानुजाचार्य स्वामीजी के काम से अनुभव किया हैं ऐसे … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 14

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 13 मूल लेखन – पेरुमाल कोइल श्री उभय वेदांत प्रतिवादि अन्नन्गराचार्य स्वामी हिंदी अनुवाद – कार्तिक श्रीहर्ष तिरुप्पावै जीयर तिरुवर‍ङ्गत्तमुदानार् श्रीरामानुज स्वामीजी को ”चूडिक्कोदुत्तवल् तोल्लरुऴाल् वाऴ्गिन्द्र” से प्रसंशा करते हैं । स्वामी रामानुजाचार्य केवल श्रीआण्डाल अम्माजी के स्वाभाविक कृपा बल … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 13

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 12 मूल लेखन – पेरुमाल कोइल श्री उभय वेदांत प्रतिवादि अन्नन्गराचार्य स्वामी हिंदी अनुवाद – शिल्पा रंदाद गजेन्द्र मोक्ष पिछले भाग में हमने यह देखा कि श्री रामानुज स्वामीजी द्वारा दिया हुआ अनुवाद आल्वार के पद पर ही आधारित हैं: … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 12

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 11 श्री पेरुमाळ कोईल महामहोपाध्याय जदगाचार्य सिंहासनाधिपति उभय वेदान्ताचर्य प्रतिवादि भयंकर श्री अणंगराचार्य स्वामीजी के कार्य पर आधारितII अवतार प्रयोजन भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण केहते हैं ”परित्राणाय साधूनां विनाशाया च दुष्कृताम। धर्मसंस्थापनार्थय सम्भवामि युगे युगे॥” अच्छाई कि रक्षा के … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 11

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 10 साम्राज्य पट्टाभिशेखम भक्तों के लिए गद्यत्रय मंगल हैं। शरणागति गद्यम विभाग में श्री रामानुज स्वामीजी ने शुरु में अखिलहेयप्रत्यनीक यह भगवान के सर्वोत्तम स्वभाव को, उनके श्रेष्ठ आकार को, उनके शुभ भाव को, उनके श्रेष्ठ और सुन्दर आभुषण को, … Read more

ड्रमिडोपनिषड् प्रभाव् सर्वस्वम् 10

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 9 भगवान नारायण ही परम नियंत्रक हैं भगवद रामानुजाचार्य ने यह पहचाना और स्पष्ट किया की श्रीरंगम के श्रीरंगनाथ भगवान ही सभी चेतन और अचेतन जीवों के परम नियंत्रक हैं। श्रीरड्ग गद्य कि शुरुवात ही “स्वाधीन त्रिविध चेतनाचेतन स्वरूपस्थिति प्रवृत्तिभेदमं” … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 9

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 8 श्री पेरुमाळ कोईल महामहोपाध्याय जदगाचार्य सिंहासनाधिपति उभय वेदान्ताचर्य प्रतिवादि भयंकर श्री अणंगराचार्य स्वामीजी के कार्य पर आधारितII इस लेख में, हम श्री रामानुजाचार्य स्वामीजी के कप्यासा पर लिखित टीकाओं को जाचेंगे और इसे आलवारों कि स्तुतियों कि सोच से … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 8

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 7   श्री पेरुमाळ कोईल महामहोपाध्याय जदगाचार्य सिंहासनाधिपति उभय वेदान्ताचर्य प्रतिवादि भयंकर श्री अणंगराचार्य स्वामीजी के कार्य पर आधारितII (i) पुण्डरीकाक्ष भगवान ही परब्रम्ह है| छांदयोग्य उपनिषद में परब्रम्ह को ही कमल नयन वाले या पुण्डरीकाक्ष नाम से पहचाना गया … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 7

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्री वानाचलमहामुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 6   श्री पेरुमाळ कोईल महामहोपाध्याय जदगाचार्य सिंहासनाधिपति उभय वेदान्ताचर्य प्रतिवादि भयंकर श्री अणंगराचार्य स्वामीजी के कार्य पर आधारितII समुद्र और भगवत्कल्याणगुण साधारणतः हमारे पूर्वाचार्यों ने अपने ग्रंथों मे सागर को उपमान मानते हुए भगवान को समस्त-कल्याण-गुण-सागर … Read more