प्रपन्नामृत – प्रथम अध्याय
॥ श्रीमते रामानुजाय नम: ॥ भगवान वैकुण्ठनाथ के साथ आदिशेष का संवाद वैकुण्ठ पुरी के बीच में ब्रह्मादि देवताओंसे भी अगम्य भगवान श्रीमन्नारायण का दिव्य धाम है। जिसके मध्यमें सहस्र फणोंवाले श्री शेषजी के ऊपर श्रीदेवी भूदेवी एवं नीलादेवी से तथा नित्य-मुक्त पार्षदोंसे सुसेवित भगवान परवासुदेव सुखपूर्वक विश्राम कर रहे हैं। एक समय भगवान को … Read more