प्रपन्नामृत – अध्याय १०

भगवान वरजराज द्वारा छ: वाक्य प्रदान 🔺 एकबार रामानुजाचार्य काञ्चीपूर्ण स्वामीजी के तरीप्रसाद की अभिलाषा से उन्हे अपने यहाँ प्रसाद पाने के लिये आग्रह किये। काञ्चीपूर्ण स्वामीजी ने निमन्त्रण स्वीकार किया। 🔺 रामानुजाचार्य घरपर नही थे तभी काञ्चीपूर्ण स्वामीजी आये और रामानुजाचार्य की पत्नी श्रीमति रक्षकाम्बा को विनन्ती करके जल्दी प्रसाद पाकर चले गये। 🔺 … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय ९

श्री यामुनाचार्यजी का वैकुण्ठगमन यामुनाचार्यजी ने जब सुना की रामानुजाचार्य ने यादवप्रकाश के यहाँ का अध्ययन छोड दिया है तो उन्होने अपने शिष्य महापुर्णाचार्य को काञ्ची जाकर वरदराज भगवान को आलवन्दार स्तोत्र का पाठ सुनाने की आज्ञा की। महापुर्ण स्वामीजी आचार्य आज्ञानुसार भगवान को पाठ सुना रहे थे तो जलसेवा करते हुये रामानुजाचार्य को यह … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय ८

प्रपन्नामृत –  अध्याय 8 कप्यास श्रुति द्वारा भगवन्नेत्रों की उपमा कमलदल से दी गयी है। 🔻 एक बार रामानुजाचार्य यादवप्रकाश को तेल लगा रहे थे, तब “कप्यास” श्रुति का अर्थ करते हुए यादवप्रकाशने भगवान के नेत्रोंको बन्दर के पायुभाग (नितम्ब) की उपमा दी। 🔻 इस सिद्धान्त विरुद्ध अर्थ को सुनकर श्रीरामानुजाचार्य के आँखोंसे अश्रुधारा बहने … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय ७

प्रपन्नामृत – सप्तम अध्याय 7 श्री रामानुजाचार्य रक्षार्थ भगवान यामुनाचार्य द्वारा आलवन्दार स्तोत्र की रचना 🔸 एक समय यामुनाचार्य स्वामीजी श्रीरामानुजाचार्य को देखने के लिए काञ्ची आये। 🔸 श्री यामुनाचार्य स्वामीजी काञ्चीपूर्ण स्वामीजी के साथ वरदराज भगवान का मंगलाशासन किये। और रामानुजाचार्य को देखने बाहर आये। 🔸उसी समय यादवप्रकाश अपने शिष्योंके साथ वरदराज भगवानके दर्शनके … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय ५

प्रपन्नामृत –  अध्याय 5 🔷 भगवान द्वारा श्रीरामानुजाचार्य की रक्षा 🔷 🔸यादवप्रकाश को त्याग करने पश्चात् रामानुजाचार्य भगवान केशव का ध्यान करने लगें। 🔸भगवान वरदराज लक्ष्मीजी के साथ व्याध दम्पति के रूपमें रामानुजाचार्य के पास आये। 🔸व्याधवेषधारी भगवान बोले, “मैं काञ्ची जा रहा हुँ, आप इन हिंस्र पशुओंके बीच क्या कर रहे हैं? 🔸रामानुजाचार्य बोले, … Read more

प्रपन्नामृत – अध्याय ६

प्रपन्नामृत – अध्याय 6 ◾ सहस्रगीति का अध्ययन करते समय श्री यामुनाचार्यजी को श्री रामानुजाचार्य का ध्यान आना ◾ ▪ श्री रामानुजाचार्य वरदराज भगवान की सेवा अनन्यभाव से करते हुए काञ्चीपुरीमें निवास करने लगे। ▪ एक समय स्वामीजी श्री यामुनाचार्यजी श्री शठकोपसुरी रचित सहस्रगीति का अध्ययन करते समय अपने शिष्योंको बुलाकर आदेश दिये, “आप रामानुज … Read more

प्रपन्नामृत – चतुर्थ अध्याय

पं. यादव प्रकाशाचार्य द्वारा श्रीरामानुजाचार्य का विन्ध्य बन में त्याग ▶ एक समय अपने सभी शिष्योंको बुलाकर यादवप्रकाश बोले, “मेरी सन्निधिमें पढकर मेरे श्रुत्यर्थोंको अशुद्ध बतलानेवाला रामानुज मेरा शत्रु बन बैठा है। यह मेरे मत को खण्डित करनेके लिये ही अवतरित हुआ है। इस रामानुज का मैं कैसे वध करुँ?” ▶ यादवप्रकाश नें शिष्योंके साथ … Read more

प्रपन्नामृत – तृतीय अध्याय

पं. यादव प्रकाशाचार्य की सन्निधि में अध्ययन करते हुए श्री रामानुजाचार्य का राजकन्या को ब्रह्मराक्षस से मुक्ति दिलाना रामानुजाचार्य कांचीमें आकर समस्त शास्त्रोंका ज्ञान सम्पादन करने हेतु यादव प्रकाशाचार्य की सन्निधिमें प्रतिदिन अध्ययन करने लगें। रामानुजाचार्य की कुशाग्र बुद्धि को देखकर पं. यादव प्रकाशाचार्य ने अनुमान लगाया की यह शेष का अवतार है। उसी समय … Read more

प्रपन्नामृत – द्वितीय अध्याय

भगवद्रामानुजाचार्य का अवतार तोंडीर प्रदेश में सर्वसम्पन्न भूतपुरी नामक एक नगरी है। इसी नगरीमें सर्वगुणविभूषित हारीत कुलोद्भूत केशवाचार्य नामक भगवद् ध्यान निमग्न वैष्णवोत्तम ब्राह्मण निवास करते थे। उनकी धर्मपत्नी कीन्तिमती देवी थी। एक दिन भगवान पार्थसारथी नें उन्हे स्वप्न दिया की, “मैं ही अपने अंश से आपके पुत्र के रूप में अवतार लूँगा। चैत्र शुक्ल … Read more

प्रपन्नामृत – प्रथम अध्याय

॥ श्रीमते रामानुजाय नम: ॥ भगवान वैकुण्ठनाथ के साथ आदिशेष का संवाद वैकुण्ठ पुरी के बीच में ब्रह्मादि देवताओंसे भी अगम्य भगवान श्रीमन्नारायण का दिव्य धाम है। जिसके मध्यमें सहस्र फणोंवाले श्री शेषजी के ऊपर श्रीदेवी भूदेवी एवं नीलादेवी से तथा नित्य-मुक्त पार्षदोंसे सुसेवित भगवान परवासुदेव सुखपूर्वक विश्राम कर रहे हैं। एक समय भगवान को … Read more