यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ६०
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ५८ नीचे दिये गये श्लोक में वर्णित विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से श्रीवरवरमुनि स्वामीजी ने लोगों को स्वीकार्य/अस्वीकार्य गतिविधियों को करने के दौरान होने वाले शुभता/अपराधों को दिखाकर सभी का उत्थान किया पक्षितं हि विषमहन्ति प्राकृतं केवलं वपुः।मन्त्रौषधमयीतत्र भवत्येव प्रतिक्रिया॥ दर्शनस्पर्ष … Read more