यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ६०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ५८ नीचे दिये गये श्लोक में वर्णित विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से श्रीवरवरमुनि स्वामीजी ने लोगों को स्वीकार्य/अस्वीकार्य गतिविधियों को करने के दौरान होने वाले शुभता/अपराधों  को दिखाकर सभी का उत्थान किया पक्षितं हि विषमहन्ति प्राकृतं केवलं वपुः।मन्त्रौषधमयीतत्र भवत्येव प्रतिक्रिया॥ दर्शनस्पर्ष … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ५९

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ५८ उन श्रीवैष्णवों को सुधारना जो उनके मध्य में शत्रुता पाल रहे हैं  दो श्रीवैष्णव आपस में अहंकार के कारण बहस कर रहे थे। उसी स्थान पर दो कुत्ते भी झगड़ रहे थे। श्रीवरवरमुनि स्वामीजी ने यह देखा और उन कुत्तों … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ५८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ५७ श्रीवरवरमुनि स्वामीजी कृपाकर व्याख्यान कि रचना किये  जैसे कि कहा गया हैं “भूत्वा भूयो वरवरमुनिर भोगिनां सार्वभौम श्रीमद रङ्गेवसति विजयी विश्वसंरक्षनार्थम्” (आदिशेष इस संसार के रक्षण हेतु श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के रूप में अवतार लिए और भव्य से श्रीरङ्गम्  में निवास … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ५७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ५६ श्रीवरवरमुनि स्वामीजी ने श्रीवानमामलै जीयर् स्वामीजी और अन्य श्रीवैष्णवों को अप्पिळ्ळै और अप्पिळ्ळार्  को लाने के लिये भेजा। वें भी कृपाकर उन्हें लाने के लिये निकल पडें और उनके आने कि सूचना पहिले ही अप्पिळ्ळार् के पास बिजवा दिया। अप्पिळ्ळार् … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ५६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ५५ अप्पिळ्ळै (श्रीप्रणतार्तिहारी स्वामीजी) और अप्पिळ्ळार् (श्रीरामानुज स्वामीजी) श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के दिव्य चरणों के शरण होते हैं  सात गोत्रों के नियम को सम्पन्न कर एऱुम्बियप्पा एऱुम्बि लौटने का निर्णय करते हैं परन्तु पूर्वसंकेत शुभ नहीं थे। उन्होंने श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के समक्ष … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ५५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ५४ इसी बीच में एऱुम्बियप्प्पा उस समय के दौरान जब वें वहाँ थे श्लोक के अनुसार  इत्थं दिने दिने कुर्वन्वृत्तिं पद्युः प्रसादिनीम्। कृतीर्  कडापदं चक्रे प्राक्तनीं वर्तनीम्॥ इत्थं दिने दिने कुर्वन्वृत्तं भर्तु: प्रसादिनीम्।कृति कण्ठा पदज्चक्रे प्राक्तनीं तत्र वर्तनीम्॥ श्रीवरवरमुनि स्वामीजी ने भगवान … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ५४

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ५३ तत्पश्चात श्रीवरवरमुनि स्वामीजी जैसे श्लोक में कहा गया हैं  ततः सजमूलजितस्याम कोमलविग्रहे।पीतकौशेयसं विधे पीनव्रुत्त चतुर्भुजे॥ शन्खचक्र गदाधरे तुङ्ग रत्न विभूषणे।कमला कौस्तुभोरस्के विमलायत लोचने॥ अपरादसहे नित्यं दहराकास गोचरे।रेमेधाम्नि यथाकाशं युज्ञानो ध्यान सम्पदा॥ सतत्र निश्चलं चेतः चिरेण विनिवर्तयन्। श्रीवरवरमुनि स्वामीजी ध्यान समृद्धि … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ५३

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ५२ तत्पश्चात जैसे इस श्लोक में कहा गया  अयं पुनः स्वयंव्यक्त अनवतारन् अनुत्तमान्।निधाय हृदिनीरन्तरं निद्यायन् प्रत्यभुत्यत​॥ विशेषेण सिशेवेच शेषभोग विभूषणम्।अमेयमात इमम्धामं रमेशं रङ्गशायिनम्॥ ध्यायं ध्यायं वपुस्तस्य पायं पायं दयोदतिम्।कायं कायं गुणानुच्चैस् सोयं तत्भूयसान्वभूत्॥ (अर्चावतार का ध्यान करते हुए बिना रुके श्रीवरवरमुनि … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ५२

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ५१ एऱुम्बियप्पा के आराध्य देव चक्रवर्ती श्रीराम उनके स्वप्न में आकर उन्हें आज्ञा करें “आपने श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के प्रति अपराध किया हैं जो आदिशेष के अपरावतार हैं। क्या तुम देवऋषि नारद की कथा नहीं सुनेहो ‘भगवद् भक्तसम्भुक्त​ पात्र शिष्टोधनारात् कोपिदासि सुतोप्यासि … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ५१

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ५० एऱुम्बियप्पा श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के शरण होते हैं  तत्पश्चात एक श्रीवैष्णव तिरुमला जाते समय एऱुम्बि में पधारे। अप्पा की दृष्टी उनपर पड़ी, उन्होंने उन्हे आमंत्रण दिया और उन्हें कृपाकर श्रीरङ्गम्  मन्दिर और श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के विषय में बताने को कहा। उन … Read more