प्रपन्नामृत – अध्याय 6
◾ सहस्रगीति का अध्ययन करते समय श्री यामुनाचार्यजी को श्री रामानुजाचार्य का ध्यान आना ◾
▪ श्री रामानुजाचार्य वरदराज भगवान की सेवा अनन्यभाव से करते हुए काञ्चीपुरीमें निवास करने लगे।
▪ एक समय स्वामीजी श्री यामुनाचार्यजी श्री शठकोपसुरी रचित सहस्रगीति का अध्ययन करते समय अपने शिष्योंको बुलाकर आदेश दिये, “आप रामानुज का पता लगाकर हमें सूचित करें।”
▪ श्री यामुनाचार्यजी की आज्ञा से उनके शिष्योंने संपूर्ण देश में भ्रमण करके काञ्चीपुरीमें आकर रामानुजाचार्य ता पता लगाया और श्री यामुनाचार्यजी को उनके विषय में बतलाया।
▪ रामानुजाचार्य को देखना चाहकर भी यामुनाचार्यजी उस समय रोगग्रस्त होने के कारण काञ्चीपुरी नही जा सकें।
▪ उधर यादवप्रकाशजी सोचे की रामानुज से बैर करनेमें अपनी हानि ही है। अत: अपने शिष्योंसे रामानुजाचार्य को पुन: अध्ययन के लिये बुलवा लिया।
▪ इसप्रकार रामानुजाचार्य पहले के ही नाईं यादवप्रकाश के यहाँ शास्त्राभ्यास करने लगें।