श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद वरवरमुनये नमः
क्योंकि हम सारे आऴ्वार और आचार्यों के कृतज्ञ हैं, हम सभी को उनके तिरुनक्षत्रों का स्मरण कर मनाना चाहिए। साल भर उनके तिरुनक्षत्र दिनों की सूची नीचे प्रस्तुत है।
- चित्तिरै, चैत्र (अप्रैल-मई)
- अस्विनि (आश्विन) – आंध्र पूर्ण (वडुग नंबि)
- कार्तिगै (कृतिका) – श्री पुण्डरीकाक्ष (उय्यक्कोण्डार्)
- रोहिणी – विष्णुचित्त (एङ्गळाऴ्वान्)
- तिरुवादिरै (आर्द्रा)
- श्री रामानुज (एम्पेरुमानार्)
- श्रीरामक्रतुनाथार्य (सोमासियाण्डान्)
- पुनर्पूसम् (पुनर्वसु) – दाशरथि (मुदलियाण्डान्)
- आयिल्यम् (आश्लेषा) – बालधन्वि (कोयिल् कोमाण्डूर् इळयविल्लि आच्चान्)
- हस्तम् (हस्त) – प्रणतार्थिहर (किडांबि आच्चान्)
- चित्तिरै (चित्रा)
- मधुरकवि आऴ्वार्
- अनंतार्य (अनंताऴ्वान्)
- वात्स्य वरदाचार्य (नडातूर् अम्माळ्)
- तिरुवोणम् (श्रवण) – लोकार्य मुनि (पिळ्ळै लोकम् जीयर्)
- वैकासी, वैशाख मास (मई-जून)
- रोहिणी – गोष्टि पूर्ण (तिरुक्कोष्टियूर् नंबि)
- स्वाति – श्रीशैल पूर्ण (पेरिय तिरुमलै नंबि)
- विसागम् (वैशाख नक्षत्र)
- श्री शठकोप (नम्माऴ्वार्)
- श्रीशैलेश (तिरुवाय्मोऴि पिळ्ळै)
- अनुशम् (अनुशा)
- पराशर भट्टर्
- वेद व्यास भट्टर्
- केट्टै (ज्येष्ठा) – तिरुवरंङ्गप्पेरुमाळ् अरैयर्
- आनि, ज्येष्ठ मास (जून-जूलै)
- आयिल्यम् (आश्लेषा) – माऱनेरि नम्बि
- स्वाति
- विष्णुचित्त (पेरियाऴ्वार्)
- श्रीकृष्ण पाद (वडक्कुत् तिरुवीधि पिळ्ळै)
- सुंदरजामातृ मुनि (वादि केसरी अऴगिय मणवाळ जीयर्)
- अनुशम् (अनुशा) – नाथमुनि जी
- श्रवणम् (श्रवण) – तिरुक्कण्णमङ्गै आण्डान्
- अविट्टम् (धनिष्ठा) – तिरुमऴिसै अण्णावप्पङ्गार्
- आड़ि, आषाढ़ मास (जूलै/अगस्त)
- पूसम् (पुष्य) – वादिभीकर गुरु (प्रतिवादी भयंङ्करम् अण्णन्)
- पूरम् (पूर्व फाल्गुन) – गोदा (आण्डाळ्)
- उत्राडम् (उत्तराषाढा) – यामुनाचार्य (आळवन्दार्)
- आवणि, श्रावण मास (अगस्त/सितंबर)
- रोहिणी
- श्रीमन्नारायण (पेरिय पेरुमाळ्)
- पेरियवाच्चन् पिळ्ळै
- नायनाराच्चान् पिळ्ळै
- अप्पन् तिरुवेंङ्कट रामानुज एम्बार् जीयर्
- हस्तम् (हस्त) – वरदाचार्य (अप्पाच्चियारण्णा)
- पुरट्टासी, भाद्रपद मास (सितंबर/अक्टूबर)
- पुनर्पूसम् (पुनर्वसु) – वानमामलै/तोताद्रि जीयर् (पोन्नडिक्काल् जीयर्)
- मघम् (माघ नक्षत्र) – श्रीनिवास गुरु (कोयिल् कंदाडै अप्पन्)
- पूरट्टादि (पूर्वाषाढ़) – वरद नारायणाचार्य (कोयिल् कंदाडै अण्णन्)
- तिरुवोणम् (श्रवण) – वेदान्ताचार्य
- रोहिणी
- अय्प्पसि, आश्विन मास (अक्टूबर/नवंबर)
- तिरुवादिरै (आर्द्रा) – कूर कुलोत्तम दासर्
- पूसम् (पुष्य) – श्रीपेरुंबूतूर आदि यतिराज जीयर्
- तिरुमूलम् (मूल) – श्री वरवरमुनि (अऴगिय मणवाळ मामुनिगळ्)
- पूराडम् (पूर्व फाल्गुन)
- विश्वक्सेनर् (सेनै मुदलियार्)
- कुरुगेश (तिरुक्कुरुगैप्पिरान् पिळ्ळान्)
- तिरुनारायणपुरत्तु आय् जनन्याचार्यर्
- तिरुवोणम् (श्रवण) –
- सारो योगी (पोय्गै आऴ्वार्)
- पिळ्ळै लोकाचार्यर्
- अविट्टम् (धनिष्ठा) –
- भूत योगी (भूतत्ताऴ्वार्)
- मध्यवीधि भट्टर् (नडुविल् तिरुवीधि पिळ्ळै भट्टर्)
- सदयम् (शताभिषा)
- महतआह्वय (पेयाऴ्वार्)
- पश्चात सुंदर देशिक (पिन्बऴगिय पेरुमाळ् जीयर्)
- उत्तरट्टादि (उत्तराषाढा) – नारायण (विळाञ्जोलै पिळ्ळै)
- रेवती – देवराज गुरु (एऱुबि अप्पा)
- कार्तिगै, कार्तिक मास (नवंबर/दिसंबर)
- भरणि
- देवराज मुनि (अरुळाळ पेरुमाळ् एम्पेरुमानार्)
- माधवाचार्य (ईयुण्णि माधवप् पेरुमाळ्)
- कार्तिगै (कृतिका नक्षत्र)
- श्री परकाल (तिरुमंङ्गै आऴ्वार्)
- श्री कलिवैरि दास (नम्पिळ्ळै)
- रोहिणी- मुनिवाहन योगी (तिरुप्पाणाऴ्वार्)
- पुनर्पूसम् (पुनर्वसु) – भट्टनाथमुनि (पत्तङ्गि परवस्तु पट्टर्पिरान् जीयर्)
- मार्गऴि, मार्गशीर्ष मास (दिसंबर/जनवरी)
- भरणी – देवराजाचार्य (नालूराच्चान् पिळ्ळै)
- केट्टै (ज्येष्ठा नक्षत्र)
- भक्ताङ्घ्रिरेणु (तोण्डरडिप्पोडि आऴ्वार्)
- श्री महा पूर्ण (पेरिय नम्बि)
- कूर नारायण जीयर्
- अविट्टम् (धनिष्ठा) – रम्यजामातृ देव (अऴगिय मणवाळप् पेरुमाळ् नायनार्)
- तै, पौष ( जनवरी/फरवरी)
- पुनर्पूसम् (पुनर्वसु) – श्रीगोविंदाचार्य (एम्बार्)
- मघम् (माघ नक्षत्र) – भक्तिसार योगी (तिरुमऴिसै आऴ्वार्)
- हस्तम् (हस्त) – कूरेश (कूरत्ताऴ्वान्)
- विसागम् (वैशाख नक्षत्र) – कुरुगै कावलप्पन्
- मासि, माघ मास (फरवरी/मार्च)
- मृगशीर्षम् (मृगशिरा) – काञ्चि पूर्ण (तिरुक्कच्चि नम्बि)
- आयिल्यम् (आश्लेषा) – धनुर दास (पिळ्ळै उऱङ्गाविल्लि दासर्)
- मघम् (माघ नक्षत्र)
- श्री राम मिश्रा (मणक्काल् नम्बि)
- मालाधार (तिरुमलै आण्डान्)
- पुनर्पूसम् (पुनर्वसु) – कुलसेकराऴ्वार्
- पंङ्गुनि, फाल्गुन (मार्च/अप्रेल)
- रोहिणी – श्रीमन्नारायण (पेरिय पेरुमाळ्)
- उत्रम् (उत्तर फाल्गुनी)
- श्री महालक्ष्मी (पेरिय पिराट्टि)
- श्री वेदान्ति जीयर (नञ्जीयर्
- हस्तम् (हस्त) – रंङ्गनाथ गुरु (तिरुवरङ्गत्तु अमुदनार्)
- मास अज्ञात
- पूसम् (पुष्य) – कोल वराहार्य (नालूर् पिळ्ळै)
- स्वाति – पद्मनाभाचार्य (ईयुण्णि पद्मनाभप् पेरुमाळ्)
- मास/नक्षत्र दोनों अज्ञात
- वङ्गि पुरत्तु नम्बि
- श्रुत प्रकाशिक भट्टर् (सदर्सन सूरि)
- प्रणतार्त्तिहर गुरु (अप्पिळ्ळै)
- रामानुज गुरु (अप्पिळ्ळार्)
अडियेन् वैष्णवी रामानुज दासी
आधार: https://granthams.koyil.org/2023/05/22/azhwar-acharyas-thirunakshathrams-tamil/
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