श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः
कंस ने कई राक्षसों को यह विचारकर भेजा कि वे श्रीकृष्ण को मारने और अपहरण करने में सक्षम हैं। परन्तु उन सभी राक्षसों का श्रीकृष्ण ने वध कर दिया, और कंस निराश और भयभीत हो गया।
भगवान विष्णु के महान भक्त नारदजी कंस की सभा में गये। उन्होंने कंस से कहा, “श्रीकृष्ण और बलराम, जो तुम्हारा वध करेंगे वे आनन्द से श्रीवृन्दावन में रह रहे हैं। तुम्हारा अंत निकट है।” यह सुनकर क्रोधित कंस जो पहले से ही अशरीरी की भविष्यवाणी सुनकर भयभीत था,अब नारद जी की दृढ़ सूचना पाकर वह अत्यधिक क्रोधित और भयभीत हो गया।
कंस ने श्रीकृष्ण का वध करने के लिए षड्यंत्र की रचना करने लगा और धनुषोत्सव आयोजित करके श्रीकृष्ण को आमंत्रित कर उनका वध करने की योजना बनाई। उसने विचार किया कि कुवलयापीड नामक हाथी, चाणूर, मुष्टिक आदि बलशाली मल्लयोद्धाओं की सहायता से श्रीकृष्ण का वध किया जा सकता है। वह विचार करता है कि श्री कृष्ण भले ही उससे बच जाएं परन्तु वे ही श्रीकृष्ण का वध कर सकते हैं। उसने अपने सेवकों में से अक्रूर को श्रीकृष्ण और बलराम को लाने के लिए आदेश दिया। श्रीकृष्ण के बारे में विचार करते हुए रात्रि भर जागते हुए निकाल दी।
इस लीला को पॆरियाऴ्वार् न अपने पॆरियाऴ्वार् तिरुमॊऴि में यह वर्णन करते हैं, “तीय पुन्दिक् कञ्जन् उन् मेल् सिनमुडैयान्” (कुबुद्धि कंस आप (श्रीकृष्ण) पर क्रोधित है)। आण्डाळ् (श्रीगोदाम्बा जी) तिरुप्पावै में इस लीला को विस्तृत करती हैं, “तरिक्किलानागित् तान् तीङ्गु निनैन्द करुत्तैप् पिऴैप्पित्तुक् कञ्जन् वयिट्रिल् नॆरुप्पॆन्न निन्ऱ नॆडुमाले” (कंस गुप्त रूप में रहने वाले श्रीकृष्ण के प्रति बुरे विचार रखता था, सर्वोत्तम भगवान श्रीकृष्ण कंस के उदर में अग्नि के रूप में प्रज्वलित होते रहे।)
अक्रूर श्रीकृष्ण के प्रति पूर्ण समर्पित थे। वे यह सोचकर अत्यधिक प्रसन्न हुए “कल जागने पर कंस को देखने के अतिरिक्त मुझ श्रीकृष्ण के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा।” वे श्रीकृष्ण के दर्शन की अभिलाषा से उनके गृह की ओर चलने लगे।
सार:-
- कंस सदैव भगवान का स्मरण करता भले ही वह श्रीकृष्ण के प्रति शत्रु भाव रखता था, वह कुबुद्धि से श्रीकृष्ण का स्मरण करता था परन्तु ऐसा विचार अनुचित है।
- भले ही कोई कितनी भी चतुरता से भगवान को धोखा देने का प्रयास करे, भगवान से कुछ भी गुप्त नहीं रख सकता, उन्हें सब ज्ञात होता है।कंस किसी को सूचित किया बिना ही भगवान के वध करने की योजना बनाई परन्तु श्रीकृष्ण ने कंस का ही वध कर दिया ताकि उसके बुरे विचारों का भी अंत हो जाये।
अडियेन् अमिता रामानुज दासी
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