कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ४५ – शाल्व और दन्तवक्र का वध

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः

श्रृंखला

<< शिशुपाल का वध

कृष्ण जब रुक्मिणी जी का हरण कर रहे थे तब शाल्व राजा उनसे युद्ध में हारकर भाग गया। उसने कहा था कि किसी भी प्रकार से वह कृष्ण और यादवों का विनाश करेगा। एक वर्ष तक उसने रुद्र की तपस्या की, रुद्र ने प्रसन्न होकर शाल्व को अपनी इच्छा पूर्ति हेतु वरदान दिया। उसने उड़ने वाला नगर बनाने की प्रार्थना की। रुद्र अपनी माया से शोबा नामक उड़ने वाला नगर बनाया और शाल्व को दे दिया। शाल्व उस पर सवार होकर द्वारका की ओर चला।

प्रद्युम्न, सात्यकि और क‌ई योद्धा बाहर आए और शाल्व से युद्ध करने लगे। प्रद्युम्न ने शाल्व को संतप्त करते हुए उस उड़ने वाले नगर पर आक्रमण किया। वह नगर दिशाहीन हो उड़ने लगा। शाल्व की सेना का योद्धा द्युम्न ने प्रद्युम्न के वक्षस्थल पर प्रहार किया ओर वह मूर्च्छित हो गया। मूर्च्छा भङ्ग होने पर क्रोधित हो युद्ध स्थल की ओर गया। उसने द्युम्न का वध कर दिया। इस प्रकार वह युद्ध सत्ताईस दिन तक चला। उस समय कृष्ण द्वारका में आए और तत्काल युद्धस्थल की ओर गये। कृष्ण को देख शाल्व ने प्रहार किया परन्तु कृष्ण ने चक्र द्वारा शाल्व का सिर काट दिया और उसका वध किया। सभी देवताओं ने भगवान की स्तुति की।

उसी समय शाल्व के मित्र दन्तवक्र ने युद्धस्थल में प्रवेश किया। उसने कृष्ण का अपमान कर आक्रमण किया। कृष्ण ने कौमोदकी नामक गदा के प्रहार से उसका वध कर दिया। तब उसका भाई विदूरथ आया और कृष्ण ने उसका सिर चक्र द्वारा काट दिया। 

भगवान कृष्ण के द्वारा इन राक्षसवृत्ति के मनुष्यों का वध किया तो देव, यक्ष, किन्नर आदि सभी हर्षित हुए।

पेयाऴ्वार् ने अपने मून्ऱाम् तिरुवन्दादि में दन्तवक्र के वध का वर्णन किया है कि, “पॊङ्गरव वक्करनैक् कॊन्ऱान् वडिवु” (एम्पेरुमान् ने बहुत उत्साह से आए दन्तवक्र का वध कर डाला)।

सार-

  • क्षीरसागर जिसको विष्णु लोक कहते हैं जो इस जगत में है के द्वारपाल जय और विजय को ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों ने श्राप दिया कि इस संसार में तीन बार जन्म लेना पड़ेगा और भगवान का विरोध करने पर शिशुपाल और दन्तवक्र का वध होगा, यह जन्म अन्तिम होगा।
  • भगवान के अवतार का उद्देश्य संत जनों की रक्षा करना, ओर दुर्जनों का नाश कर धर्म की स्थापना करना है। इसीलिए कृष्ण ने दुर्जनों का नाश कर पृथ्वी का भार कम किया।

अडियेन् अमिता रामानुजदासी।

आधार: https://granthams.koyil.org/2023/10/21/krishna-leela-45-english/

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