श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः
अवतारिका (परिचय)
ऐसे विवेक (अन्तर करने की क्षमता) का फलस्वरूप यहाँ समझाया है।
चूर्णिका-२
विवेक पलम् वीडु पट्रु
सामान्य व्याख्या
यह भेद करने की क्षमता का फल है कि त्यागने के योग्य का त्याग करना और स्वीकारनीय का स्वीकार करना।
व्याख्या (टीका टिप्पणी)
अर्थात् भगवान द्वारा दिए गए ज्ञान के माध्यम से अच्छे और बुरे में अन्तर समझने का परिणाम है कि त्यागने योग्य का त्याग करना और स्वीकारनीय का अनुसरण करना। नायनार् आऴ्वार् के दिव्य शब्दों का ध्यान रखते हुए “त्याग स्वीकारम्” के स्थान पर, “वीडु पट्रु” कह रहे हैं। जैसे कि तिरुवाय्मोऴि १.२.१ में “वीडुमिन् मुट्रवुम्” (पूर्ण त्याग दें) और तिरुवाय्मोऴि १.२.५ में “अट्रु इऱै पट्री” (शेष सभी वस्तुओं के प्रति अनासक्त होकर ईश्वर के प्रति समर्पित होना)।
अडियेन् अमिता रामानुजदासी
आधार – https://granthams.koyil.org/2024/02/25/acharya-hrudhayam-2-english/
संगृहीत – https://granthams.koyil.org/
प्रमेय (लक्ष्य) – https://koyil.org
प्रमाण (शास्त्र) – https://granthams.koyil.org
प्रमाता (आचार्य) – https://acharyas.koyil.org
श्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – https://pillai.koyil.org