श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम:

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अवतारिका

जब उनसे पूछा गया कि “आप ऐसा कैसे कह सकते हैं? क्या कोई व्यक्ति अपने गाँव, कुल आदि से नहीं जाना जाता है जहाँ से वह आता है?” श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक उत्तर देते हैं।

सूत्रं – ७८

ग्राम कुलादिगळाल् वरुम् पेर् अनर्थ हेतु।

सरल अनुवाद

किसी के गाँव, कुल आदि से प्राप्त नाम विपत्ति का कारण बनते हैं।

व्याख्या

ग्राम …

अर्थात्, क्योंकि अपने मूल गाँव, कुल आदि से जाना जाना अहंकार का कारण होगा, यह स्वरूप हानि (स्वयं के वास्तविक स्वरूप को क्षति पहुँचाना जो शरीर से विभेद है) के रूप में आपदा की ओर ले जाएगा। इसलिए यह निहित है कि आत्मा को उन लक्षणों से नहीं पहचाना जाना चाहिए।

अडियेन् केशव रामानुज दास

आधार: https://granthams.koyil.org/2021/04/03/srivachana-bhushanam-suthram-78-english/

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