यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ३०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग २९ तत्पश्चात वें कावेरी नदी के तट पर पहुँचे जिसे “एण्तिसैक् कणङ्गळुम् इरैञ्जियाडु तीर्थ नीर्” ऐसे वर्णन किया गया हैं (सभी आठ दिशाओं से उत्पन्न किये हुए अस्तित्व उत्साह से कावेरी में पवित्र स्नान करते हैं) और “गङ्गैयिलुम् पुनिदमाय कावेरि” (कावेरी जो … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग २९

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग २८ अळगिय वरदर् श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के शरण हुए  जैसे कि कहा गया हैं “श्रीसौम्य जामातृ मुनीश्वरस्य प्रसादसम्पत प्रथमास्यताय ” (श्रीसौम्यजामातृयोगीन्द्र के सबसे पहिले कृपापात्र) [सबसे उच्च आश्रम यानि सन्यासाश्रम में प्रवेश करने के पश्चात अऴगियमणवाळप्पेरुमाळ् नायनार् ​ को श्रीसौम्यजामातृमुनि / श्रीमणवाळ मामुनि … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग २८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग २७ श्रीशैलेश स्वामीजी का श्रीवरवरमुनि स्वामीजी को अंतिम आज्ञा  ज्ञान, भक्ति और वैराग्य इन गुणों की निरतिशय अभिवृद्धि होने के कारण महान वैभव के साथ श्रीशैलेश स्वामीजी बहुत समय तक कैङ्कर्यश्री (सेवा का धन) के साथ रहे। अब नित्यविभूति में शाश्वत … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग २७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग २६ एक दिन श्रीशैलेश स्वामीजी ने अपने उपवन में उत्पन्न ताजी सब्जीयाँ श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के तिरुमाळिगै में भेजा। श्रीवरवरमुनि स्वामीजी बहुत प्रभावित होकर श्रीशैलेश स्वामीजी से पूछे “आप दास के तिरुमाळिगै में भेजने के बजाय यह सब आऴ्वार् (श्रीशठकोप स्वामीजी के मन्दिर) … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग २६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग २५ श्रीशैलेश स्वामीजी ने श्रीवरवरमुनि स्वामीजी को उडयवर् के दिव्य चरणों में संलग्न करना  पिळ्ळै (इसके बाद तिरुवाय्मोऴिप्पिळ्ळै (श्रीशैलेश स्वामीजी) को पिळ्ळै कहकर संभोधित करेंगे और अऴगियमणवाळप्पेरुमाळ नायनार् (यानि अपने पूर्वाश्रम में श्रीवरवरमुनि स्वामीजी) को नायनार् कहकर स्ंभोधित करेंगे) खुशी से नायनार् … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग २५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग २४ अऴगियमणवाळप्पेरुमाळ् श्रीशैलेश स्वामीजी का आश्रयण लेना  तिग​ऴक्किडन्दान् तिरुनावीऱुडयपिरान् तादरण्णर्  को अपना दिव्य पुत्र अऴगियमणवाळप्पेरुमाळ् नायनार् प्राप्त हुआ और समय रहते उनका विवाह करवाया। उन्होंने उन्हें दिव्य प्रबन्ध, रहस्य (गूढ़ार्थ विषय), आदि सिखाया। नायनार् भी अपने पिता द्वारा प्राप्त लाभ से कार्य … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम – भाग २४

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम << भाग २३ अब श्रीरङ्गम् मंदिर पर वर्णन करना  उस समय में महात्मा जन जो श्रीरङ्गम् में निवास करते थे वें प्रति दिन “श्रीमन् श्रीरङ्गश्रियम् अनुपद्रवाम् अनुदिनं सम्वर्धय​ ” इस श्लोक का उच्चारण करते थे (बिना किसी बाधा के श्रीरङ्गम् का धन (सेवा का) … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम – भाग २३

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम << भाग २२ अततस्य गुरुः श्रीमान मत्वादं दिव्य तेजसम्। अभिरामवरादीश इति नाम समाधिशत्॥ (उस बालक को दिव्य दीप्ति प्राप्त हैं यह मानकर अण्णर उस बालक के पिताजी और एक श्रीमान (जो भगवान का कैंकर्य करते हैं) ने उस बालक को अऴगियमणवाळप्पेरुमाळ का दिव्य नाम … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम – भाग २२

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम << भाग २१ श्रीअऴगिय मणवाळ मामुनिगळ (श्रीवरवरमुनि स्वामीजी) का दिव्य अवतार  तुर्की से आक्रमण और अन्य कारणों से प्रपत्ति मार्ग (शरणागति मार्ग या भगवान के शरण होना) शिथिल हो गया। श्रीरङ्गनाथ भगवान जो श्रीमहालक्ष्मी अम्माजी के स्वामी हैं, जो दया से भरे हैं और … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम – भाग २१

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम << भाग २० श्रीशैलेश स्वामीजी और श्रीविळाञ्चोलैप्पिळ्ळै  श्रीशैलेश स्वामीजी अपने दिव्य मन में यह निश्चित करते हैं कि उन्हें तिरुवनन्तपुरम जाकर श्रीविळाञ्चोलैप्पिळ्ळै स्वामीजी का अभिवादन कर उनसे सम्प्रदाय के गूढ़ार्थ सीखना चाहिये। आऴवार  के मुख्य शिष्य होने का गौरव प्रगट कर वें मंदिर के … Read more