कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – २५ – कंस का भय और षड्यंत्र

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << नप्पिन्नैप्पिराट्टि कंस ने कई राक्षसों को यह विचारकर भेजा कि वे श्रीकृष्ण को मारने और अपहरण करने में सक्षम हैं। परन्तु उन सभी राक्षसों का श्रीकृष्ण ने वध कर दिया, और कंस निराश और भयभीत हो गया। भगवान विष्णु के महान … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – २४ – नप्पिन्नैप्पिराट्टि (नीळा देवी)

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << अरिष्टासुर, केशी और व्योमासुर का वध कृष्ण लीलाओं में एक अति सुन्दर और महत्वपूर्ण तत्व है श्रीकृष्ण और नप्पिन्नैप्पिराट्टि (नीळा देवी) के बीच में सम्बन्ध। हम इसका पूर्णानन्द आऴ्वारों के पासुरों से ले सकते हैं। प्रथम हमें यह समझना होगा कि … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – २३ – अरिष्टासुर, केशी और व्योमासुर का वध

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << घड़ों के साथ नृत्य इस प्रकार कृष्ण वृन्दावन में वास कर रहे थे तब कुछ और असुरों को कृष्ण को मारने के लिए कंस द्वारा भेजा गया। कृष्ण ने सहज ही उन सब का वध कर दिया। आइए उन लीला क्षणों … Read more

कृष्ण की लीलाएँ और उनका सार – २२ – घड़ों के साथ नृत्य

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << रास क्रीडा  कृष्ण की यह लीला कुडक्कुत्तु भी बहुत अद्भुत है। कुडक्कूत्तु का अर्थ है घड़ा पकड़ना, कटि भाग पर ढोल बांधना, उस ढोल बजाना और नृत्य करना। यह वर्गाकार (चौराहा) में किया जाता है ताकि प्रत्येक उसको देख सके और … Read more

कृष्ण की लीलाएँ और उनका सार – २१ – रास क्रीड़ा

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला <<गोवर्धन लीला कृष्ण की लीलाओं में से एक अद्भुत लीला गोपिकाओं के साथ रास क्रीड़ा करना है। रास क्रीड़ा का अर्थ है चांदनी रात में एक दूसरे का हाथ पकड़कर आनन्दपूर्वक नृत्य करना। एक रात्रि को श्रीकृष्ण नेवन में रहकर बांसुरी बजाना … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – २० – गोवर्धन लीला

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << ऋषिपत्नियों द्वारा अनुग्रह प्राप्ति जब कृष्ण सप्त वर्ष हुए तब एक अतिमानवीय लीला की, जो बहुत ही अद्भुत थी। आइए उस आनन्दवर्धक लीला का अनुभव करें। एक दिन, वृन्दावन में वृद्ध ग्वालों ने एकत्र होकर एक उत्सव की चर्चा की। उसी … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – १९ – ऋषिपत्नियों द्वारा अनुग्रह प्राप्ति

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << वस्त्र हरण एक बार कृष्ण बलराम और उनके ग्वाल-बाल सखा वृन्दावन में किसी वन में बैठे हुए थे। ग्वाल-बालों को भूख लगी तो उन्होंने कृष्ण और बलराम की ओर देख उनसे भोजन की व्यवस्था करने के लिए प्रार्थना की।उसी समय, कृष्ण … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – १८ – वस्त्र-हरण

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला <<बांसुरी बजाना कृष्ण की मुख्य लीलाओं में गोपियों के वस्त्र हरण की लीला भी प्रमुख लीला है। आईए इस लीला को सार सहित जाने। कृष्ण को ग्वालिनों से बहुत प्रेम था, उसी प्रकार गोपिकाओं को भी श्रीकृष्ण से अतिप्रेम था। कृष्ण अधिकतर … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – १७ – बाँसुरी बजाना

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << गायों और बछड़ों को चराना कृष्ण की मुख्य लीलाओं में से एक लीला बांसुरी बजाना भी है। उनके कर कमलों में या कटिभाग में सदैव बांसुरी विद्यमान रहती है। जब भी कोई कृष्ण के बारे में सोचते हैं तो उन्हें बांसुरी … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – १६ – गायों और बछड़ों को चराना

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << प्रलम्बासुर वध  अपनी किशोरावस्था में, श्रीकृष्ण के मनलुभावन सेवाओं में से एक गौओं को चराना अतिप्रिय था। नम्माऴ्वार् (श्रीशठकोप) ने तिरुवाय्मोऴि में वर्णन किया है “तिवत्तिलुम् पसु निरै मेय्प्पुवत्ति” (कृष्ण को परमपदम् में रहने से भी अधिक प्रिय गौओं को चराना … Read more