த்ரமிடோபநிஷத் ப்ரபாவ ஸர்வஸ்வம் 3

ஸ்ரீ:  ஸ்ரீமதே சடகோபாய நம:  ஸ்ரீமதே ராமாநுஜாய நம:  ஸ்ரீமத் வரவரமுநயே நம: த்ரமிடோபநிஷத் ப்ரபாவ ஸர்வஸ்வம் << பகுதி 2 தைத்திரீயத்தில் உள்ள மேற்கண்ட ருக் த்ரமிடோபநிஷத் என்னும் திவ்யப்ரபந்தத்திற்கு ஸ்தோத்திரம் போல் அமைந்துள்ளதை காணலாம். सहस्रपरमा देवी शतमूला शताङ्कुरा | सर्वं हरतु मे पापं दूर्वा दुस्स्वप्ननाशिनी (ஸஹஸ்ரபரமா தேவீ சதமூலா சதாங்குகரா | ஸர்வம் ஹரது மே பாபம் தூர்வா துஸ்ஸ்வப்னனாசினீ) || கீழ்கண்ட வரியில் உள்ள தேவி என்னும் சொல், … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 23

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 22   श्रीभाष्यकार श्रीरामानुज स्वामीजी के दिव्य आलौकिक ग्रन्थों का गंभीरतापूर्वक अध्ययन यह स्पष्ट है कि श्रीरामानुज स्वामीजी के दिव्य ग्रन्थों का अध्ययन कर समझना है तो अध्ययन कर्ता को उनके प्रत्येक अक्षरों को बहुत निगूढ़ता एवं गंभीरतापूर्वक से समझना … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 22

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 21 मूल लेखन – पेरुमाल कोइल श्री उभय वेदांत प्रतिवादि अन्नन्गराचार्य स्वामी श्रीशठकोप स्वामीजी के वैभव का प्रकाश, श्रीभाष्य से आळ्वारों के दिव्य पासुरों से प्रेरित, श्रीभाष्य का मङ्गलश्लोक, भगवान् श्रियः पति श्रीनिवास के लिये समर्पण तो है ही पर … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 21

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 20 मूल लेखन – पेरुमाल कोइल श्री उभय वेदांत प्रतिवादि अन्नन्गराचार्य स्वामी पिछले लेख का अनुसरण करते हुए, हम आगे श्रीभाष्य के मङ्गल श्लोक के विभिन्न अंशों पर चर्चा करेंगे जो पूर्वाचार्य एवं आळ्वारों के दिव्य श्रीसूक्तियों पर आधारित है … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 20

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 19 मूल लेखन – पेरुमाल कोइल श्री उभय वेदांत प्रतिवादि अन्नन्गराचार्य स्वामी श्रीभाष्यमङ्गलश्लोक का अनुभव – भाग १ अनन्त विभूषित जगद्गुरु महान् आचार्य श्री रामानुजाचार्य द्वारा विचरित यह श्लोक सभी भक्तों के लिये लोकप्रिय एवम् सदाबहार अमृत रसपान है अखिल-भुवन-जन्म-स्थेम-भङ्गादिलीले … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 19

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 18 मूल लेखन – पेरुमाल कोइल श्री उभय वेदांत प्रतिवादि अन्नन्गराचार्य स्वामी आराधन में दिव्य प्रबन्ध हालाकि आल्वारों और आचार्य के उनके आरुलिच्चेयल (दिव्य प्रबन्ध) के प्रति भक्ति के लिये उनके कार्यों से कई दृष्टांत दिये जा सकता है और … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 18

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 17 मूल लेखन – पेरुमाल कोइल श्री उभय वेदांत प्रतिवादि अन्नन्गराचार्य स्वामी मनोहरता (प्रसन्नता) के भिन्न भिन्न अनुभव श्रीमद् भगवद्गीता के १०वें अध्याय का ९वां श्लोक कहता हैं कि “मच्चिता मद्गतप्राणा बोधयन्त: परस्परम् | कथयन्तश्च मां नित्यं तुष्यन्ति च रमन्ति … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 17

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 16 मूल लेखन – पेरुमाल कोइल श्री उभय वेदांत प्रतिवादि अन्नन्गराचार्य स्वामी अद्वितीय वात्सल्य शरणागति गद्य में “अखिलहेय” जो शुरू होता हैं उसमे श्री रामानुज स्वामीजी भगवान को विभिन्न नामों से बुलाते हैं। यह सारे नाम सिर्फ बुलाने के लिए … Read more

த்ரமிடோபநிஷத் ப்ரபாவ ஸர்வஸ்வம் 2

ஸ்ரீ:  ஸ்ரீமதே சடகோபாய நம:  ஸ்ரீமதே ராமாநுஜாய நம:  ஸ்ரீமத் வரவரமுநயே நம: த்ரமிடோபநிஷத் ப்ரபாவ ஸர்வஸ்வம் << பகுதி 1 ஸ்வாமி நம்மாழ்வாரே வேதாந்தத்துக்கும், நம் ஸம்ப்ரதாயத்துக்கும் உயர்ந்த ஆசார்யன் என்றும், ஸ்வாமி எம்பெருமானார் தமிழ் மறையின் மீது வைத்திருந்த ஆழ்ந்த பற்றுதலையும் நாம் கீழே கண்டோம். மேலே, நம் பூர்வாச்சார்யர்களான ஆளவந்தார், கூரத்தாழ்வான், பட்டர் மற்றும் தேசிகன் அவர்களின் க்ரந்தங்கள், ஸம்ஸ்க்ருத வேத வாக்கியங்கள் மற்றும் உபப்ரஹ்மணங்களைக் கொண்டு, நாம் ஆழ்வார்களின் ஏற்றத்தையும், திவ்ய … Read more

द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् 16

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः द्रमिडोपनिषद प्रभाव् सर्वस्वम् << भाग 15 मूल लेखन – पेरुमाल कोइल श्री उभय वेदांत प्रतिवादि अन्नन्गराचार्य स्वामी मुख्य पहचानकर्ता हर एक जीव का स्वभाव तत्त्व ज्ञान की पूछताछ करना हैं। सभी मत और परम्परागत प्रथा वाले लोगों के लिए यह महत्त्वपूर्ण है। बहुत से सम्बन्ध … Read more