लोकाचार्य स्वामीजी की दिव्य-श्रीसूक्तियां – १०
श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचलमहामुनये नमः लोकाचार्य स्वामीजी की दिव्य-श्रीसूक्तियां << पूर्व अनुच्छेद ९१ ) शेषत्वम् आत्मावुक्कु स्वरूपमानाल् देहत्तुक्कु विरोधियाय् निर्कुम् निलै कुलैन्दु यथा आत्म दास्यम् हरेः स्वाम्यं अर्थात् भगवान् श्रीमन्नारायण ही परमात्मा एवं सर्व शेषी है और अन्य चेतन उनके शेष व दास है । जीवात्मा अगर यह समझ … Read more