श्रीवचन भूषण – सूत्रं ३६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका इन आऴ्वारों द्वारा अर्चावतार में इस तरह से प्रपत्ती करने का कारण, जबकि भगवान के अन्य स्वरूप जैसे कि पर स्वरूप (परमपद में) मौजूद हैं, भगवान के इस स्वरूप में गुणों की पूर्णत: है; श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी गुणों की … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ३५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका आगे, श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी श्रीशठकोप स्वामीजी (नम्माऴ्वार्) के आचरण के माध्यम से स्पष्ट रूप से समझा रहे हैं कि अर्चावतार जिसमें गुणों की इतनी संपूर्णता है कि श्रीशठकोप स्वामी के समर्पण के लिए उपयुक्त लक्ष्य है जो प्रपन्न जन … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ३४

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका इस प्रकार, श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी ने प्रपत्ती के स्थान, समय आदि के आधार पर प्रतिबंध न होने के अपने कथन को समझाया। इसके अतिरिक्त, वे प्रपत्ती के विषय नियम (जिसके प्रति समर्पण किया जाता है उस इकाई के आधार … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ३३

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका तत्पश्चात श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी प्रपत्ती के लिए माँगे गए परिणाम के आधार पर प्रतिबंधों की कमी के विषय में प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं। सूत्रं – ३३ पल नियमम् इन्ऱिक्के ऒऴिन्दपडि ऎन्? ऎन्निल्  धर्मपुत्रादिगळुक्कुप् पलम् राज्यम्; द्रौपदिक्कुप् पलम् … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ३२

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका तत्पश्चात, समर्पण करने वाले व्यक्ति की योग्यता के आधार पर प्रतिबंध के अभाव की व्याख्या करते हुए, श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी एक जिज्ञासु व्यक्ति के प्रश्न का उत्तर देते हैं। सूत्रं – ३२ अधिकारी नियमम् इन्ऱिक्के ऒऴिन्दपडि ऎन्? ऎन्निल् धर्मपुत्रादिगळुम्, … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ३१

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी हमें इस सिद्धांत से संबंधित एक विश्वसनीय व्यक्ति (श्रीकलिवैरिदास स्वामीजी) के निर्देशों का स्मरण दिलाते हैं। सूत्रं – ३१ इव्विडत्तिले वेल्वॆट्टिप् पिळ्ळैक्कुप् पिळ्ळै अरुळिच् चॆय्द वार्त्तैयै स्मरिप्पदु। सरल अनुवाद यहाँ, वेल्वॆट्टिप् पिळ्ळै को श्रीकलिवैरिदास स्वामीजी (नम्पिळ्ळै/पिळ्ळै) … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ३०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी पहले बताए गए पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए इस सिद्धांत का निष्कर्ष निकालते हैं। सूत्रं – ३० आगैयाल् शुद्धि अशुद्धिगळ् इरण्डुम् तेड वेण्डा; इरुन्दपडिये अधिकारियम् इत्तनै। सरल अनुवाद इस प्रकार, किसी को शुद्धता या अशुद्धता … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं २९

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका जब पूछा गया “हमने वह कहाँ देखा?” श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी पूर्व निर्देशित पहलुओं से दिखा रहे हैं। सूत्रं – २९ द्रौपदी स्नातैययन्ऱे प्रपत्ती पण्णिट्रु; अर्जुनन् नीसर् नडुवेयिऱे इव्वर्थम्  केट्टदु।  सरल अनुवाद द्रौपदी ने (अपने मासिक धर्म में) ऋतु स्नान … Read more

श्रीवचनभूषण – सूत्रं २८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका आगे, श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी अपनाये जाने वाली विधि में प्रतिबंध का अभाव दर्शाते हैं। सूत्रं – २८ प्रकार नियति इल्लै ऎन्नुमिडम् ऎङ्गुम् काणलाम् । सरल अनुवाद अपनाये जाने वाली विधि पर कोई प्रतिबंध नहीं है, यह सर्वत्र देखा जा … Read more

श्रीवचनभूषण – सूत्रं २७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका श्री पिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी कहते हैं “इसे द्वयम, जो प्रपत्ती का अनुष्ठान है, के प्रथम पद में देखा जा सकता है”।  सूत्रं – २७ इव्वर्थम् मन्त्र रत्नत्तिल् प्रथम पदत्तिले सुस्पष्टम्। सरल अनुवाद यह सिद्धांत मंत्र रत्न के पहले … Read more