श्रीवचनभूषण – सूत्रं १०७
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब पूछा गया “प्राथमिक कारण क्या है?” श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी कहते हैं “अप्राप्ततैये प्रधान हेतु“। सूत्रं – १०७ अप्राप्ततैये प्रधान हेतु सरल अनुवाद अयोग्यता ही इसका मुख्य कारण है। व्याख्या अप्राप्ततैये एक चेतन (जीव) के स्वरूप अर्थात केवल भगवान … Read more