श्री वैष्णव लक्षण – ४
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवर मुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नमः श्री वैष्णव लक्षण << पूर्व अनुच्छेद गुरू परम्परा अपने पिछले लेख में हमने आचार्य और शिष्य के रिश्ते के बारे में चर्चा की थी। कोई अगर हमें पुछे कि, “हमें अपने और भगवान के बीच में आचार्य की क्या जरूरत है? … Read more