वरदराज भगवान् आविर्भाव कि कहानी १४ – ३

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

वरदराज भगवान् आविर्भाव कि कहानी

<< भाग १४ -२

उदारचरित और शानदार पेररुराळन् (वरदराज भगवान्) ब्रह्मा की श्रद्धा और भक्ति को स्वीकार करते हुए एक मुस्कुराहट दिया था। ब्रह्मा ने भी भगवान की उदारता और करुणा पर विचारमग्न होके नमस्कार किया।

“हे भगवान! आमुधल्वा (सर्वप्रथम और सर्वाधिक)! यह पुनः साबित हो गया है कि एकमात्र आप ही उनका मार्गदर्शन और अगुवाई करते हो जो आप में विश्वास रकते हैं।

आप अद्वितीय हैं I आपकी शक्ति स्वतंत्र हैं। आपके कोषागार में अपने भक्तों के लिए कितना प्रेम है? ओ भक्ति वत्सला! (जो भक्तों की संरक्षण करता है) मैं भ्रुहस्पति के अभिशाप और सरस्वती के क्रोध से बिखर गया था। मैं बिना अस्तित्व के रह्जाता अगर आप अपना कृपा वर्षा मेरे ऊपर  नहीं बरसायी होती तो।

आप अशरीरि के रूप में आए; मुझे सथ्यवृथ क्षेत्र जाने का आदेश दिया; मुझे कांची दिखाया; यग्न के लिए यह पर्वत धन्धावल गिरी उपहार में दिया;

आपने सरस्वती और असुरों द्वारा किये गए भंग प्रयासों को नष्ट कर दिया; जब चम्पासुर से खतरा आया, तो आप दीपक (विल्लक्कोलिप्पेरुमालl) के रूप में आये; जब बाधा डालने असुर का समूह आया, तो आपने खुद को नरसिम्ह (वेलुक्कई आल्लरी) के रूप में दर्शाये। जब सरस्वती ने काली और असुरस को नियोजित किया, तो आपने स्वयं को अष्टभुज पेरुमाल् (भगवान) के रूप में प्रकट किया। आपने दुष्टता को नष्ट कर दिया।

आपने खुद को शयनेषण (पल्लिकोंडान में) के रूप में दर्शन दिया। आप थिरुपर्कडल (तिरुपारकड्ल) में रांगनाथ के रूप में दर्शन दिए। आपने वेह्कनैप्पेरुमाल के रूप में अपना आशीर्वाद कि वर्षा की।

अब इस पल में, अग्नि के बीच में खड़े होके मुस्कुराते हुए अपनी कृपा की वर्षा बरसा रहे हो।

आपके प्रेम और धर्माचरण कि सम्पूर्ण प्रशंसा कौन कर सकता है? चार वेद , अगर वे खोज करें, आपकी स्थिति का पता लगाने में असफल होंगे । जब मैं आपको देखने अपने प्रयासों में विफल रहा, निराश्रय होके खड़ा था, आप अपनी स्वतंत्र इच्छा से ही  मेरी आंखों के सामने दर्शन दिए।

वेद इस संसार के लिए नेत्र हैं; और आप उस नेत्र के केंद्र बिंदु हैं। क्या कृपवार्षा करने में आपकी कोई बराबरी कर सकता है? आप महासागर समान हो I आपके पूर्ण रूप को कौन देख सकता है? जल के सामान आप इस संसार की रक्षा करते हो। भूमि फिर भी उन लोगों का भोज उठा लेता है जो पृथ्वी का दुरुपयोग करते हैं। आप हमारे दोष और दुष्कर्मो को सहन करने में धरती सामान हो (भुमी)।

यदि हम आपके गुणों की विवेचन करने कि साहस करते हैं, तो हम इस निष्कर्ष के साथ समाप्त होते हैं कि आपके जैसे कोई अन्य नहीं है।

आपका वर्ण नील मेघ का है; आप है गज राज के उद्धारक!

मेरे प्यारे कान्हा !!

क्या मैं आपकी प्रशंसा कर रहा हूं या क्या मैं बकवास कर रहा हूं?

मुझे पता नहीं है। मैं पूरी तरह से अज्ञानी हूँ।

मैं आप से पर्वत करिगिरि पे मिला था। आपका दर्शन के उसी पल में मेरे दुःख पूरी तरह से नष्ट हो गये जैसा मैंने महसूस किया है।.

मैं भाग्यशाली हूँ।  भावनात्मक होक ब्रह्मा ने कहा, “मैं कृपापात्र हूँ,”।

““कान्तगु तोळण्णल् तेन्नत्तियूरर् कण्णन्”” (वह, जिनके भुजायें हैं जो नेत्रों के लिए एक पर्व हैं) – अत्तिगिरि के भगवान, वरदराज भगवान् मुस्कुराये। उनके हस्त संकेत दिया कि “भयभीत न हो”। उन्होंने  ब्रह्मा से बात करना शुरू किया।

उन्होंने क्या कहा?…

हम प्रतीक्षा करें ..

अडियेन श्रीदेवी रामानुज दासी

आधार  – https://srivaishnavagranthamwordpress.com/2018/05/21/story-of-varadhas-emergence-14-3/

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