१०८ दिव्यदेशम् (दिव्यक्षेत्र)

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमःश्रीमद वरवरमुनये नमः सर्वेश्वर श्रीमन्नारायण के दिव्य स्थल जो आऴ्वारों द्वारा गाए गए हैं, उन्हें दिव्यदेशम् कहते हैं। ये सारे स्थल एम्पेरुमान् के लिए अति प्रिय हैं और इसलिए इन्हें कहते हैं “उगन्दरुळिन निलंङ्गळ्” (भगवान प्रसन्न क्षेत्र)। चोऴ नाडु (श्रीरङ्गम् के निकट) नडु नाडु (मध्य तमिऴनाडु) तोन्डै नाडु (चेन्नई … Read more

तिरुप्पावै अनुभव – अर्थ पंञ्चकम्

।।श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः।। तिरुप्पावै उभय (दो- संस्कृत और तमिऴ्) वेदांतों का सार है। जब हम इसके अंतर्निहित अर्थों को अच्छे से समझ लेते हैं, तो एम्पेरुमान् (भगवान श्रीमन्नारायण) को हम प्राप्त करने के मार्ग में जो भी बाधाएँ हैं वे सब सहज रूप से दूर हो जाती हैं। अपने … Read more