कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – १७ – बाँसुरी बजाना

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << गायों और बछड़ों को चराना कृष्ण की मुख्य लीलाओं में से एक लीला बांसुरी बजाना भी है। उनके कर कमलों में या कटिभाग में सदैव बांसुरी विद्यमान रहती है। जब भी कोई कृष्ण के बारे में सोचते हैं तो उन्हें बांसुरी … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – १६ – गायों और बछड़ों को चराना

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << प्रलम्बासुर वध  अपनी किशोरावस्था में, श्रीकृष्ण के मनलुभावन सेवाओं में से एक गौओं को चराना अतिप्रिय था। नम्माऴ्वार् (श्रीशठकोप) ने तिरुवाय्मोऴि में वर्णन किया है “तिवत्तिलुम् पसु निरै मेय्प्पुवत्ति” (कृष्ण को परमपदम् में रहने से भी अधिक प्रिय गौओं को चराना … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – १५ – प्रलम्बासुर वध

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << कलिङ्ग नर्दनम् (कालियदमन) एक दिन श्रीकृष्ण और बलराम अपने ग्वाल-बाल सखाओं के साथ वृन्दावन में खेल रहे थे। एक प्रलम्बासुर नामक राक्षस ग्वाल-बाल का रूप धारण कर उनकी गोष्ठी में प्रवेश कर गया। वह किसी भी युक्ति को अपनाकर श्रीकृष्ण को … Read more

लोकाचार्य स्वामीजी की दिव्य श्रीसूक्तियां – निष्कर्ष

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमते वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः लोकाचार्य की श्रीसूक्ति << पूर्व अनुच्छेद पहले के विषय में हमने नम्पिळ्ळै के ईडु महाव्याख्यानम् से उनके रहस्योद्धघाटन का आनंद लिया है। तिरुवाय्मोऴि के लिए नम्पिळ्ळै और उनके ईडु व्याख्यानम् की महिमा अच्छी तरह से प्रस्तुत की है। नम्पिळ्ळै नञ्जीयर् के दिव्य करुणा … Read more

लोकाचार्य स्वामीजी की दिव्य श्रीसूक्तियाँ – १९

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम:। श्रीमते रामानुजाय नम:। श्रीमद् वरवरमुनये नमः। श्रीवानाचलमहामुनये नमः। लोकाचार्य स्वामीजी की दिव्य-श्रीसूक्तियाँ << पूर्व अनुच्छेद १८१–रक्ष्य वर्गम् कुऱैवट्र देसमागैयाले रक्षकनुक्कु सम्पत्तु मिक्किरुक्कुम् इङ्गु। कैङ्कर्यत्तुक्कु विच्छेदमिल्लामैयाले सेष भूतनुक्कु सम्पत्तु मिक्किरुक्कुम् अङ्गु। भगवान इस संसार (भौतिक संसार) में जीवात्मा के उत्थान करके अपनी “रक्षकन” (रक्षक/उज्जीवित कर्ता) उपाधि स्थापित करने की खोज में हैं। जबकि असंख्य जीवात्माएँ … Read more

लोकाचार्य स्वामीजी की दिव्य श्रीसूक्तियाँ – १८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम:। श्रीमते रामानुजाय नम:। श्रीमद् वरवरमुनये नमः। श्रीवानाचलमहामुनये नमः। लोकाचार्य स्वामीजी की दिव्य-श्रीसूक्तियाँ << पूर्व अनुच्छेद १७१– निरपेक्षनान तान् कुऱैय निन्ऱु इवनुडैय कुऱैयैत् तीर्क्कुमाय्त्तु, तान् सापेक्षनाय् निन्ऱु इवनै निरपेक्षनाक्कुम्। सापेक्षन् – इच्छा सहित/आशापूर्ण निरपेक्षन् -इच्छा रहित/आशा विहीन  अपनी अहैतुक/निर्हेतुक कृपा से, जीवात्माओं को पार लगाने के लिए, वे (भगवान) अवतरित होकर जीवत्माओं की … Read more

४००० दिव्यप्रबंधम्

श्री: श्रीमते शठकोपाये नमः श्रीमते रामानुजाये नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीमन्नारायण ने कुछ चुनिंदे आत्माओं को दैविक ज्ञान और उसके प्रति असीम भक्ति प्रदान कर अनुग्रहित किया, और उन्हें आऴ्वार बनाया। इन आऴ्वारों ने श्रीमन्नारायण की स्तुति में क‌ई दिव्य स्तोत्रों (जिसे तमिऴ् में पासुरम् कहते हैं) की रचना की‌। ये पासुरम् कुल मिलाकर लगभग ४००० … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – १४ – कलिङ्ग नर्दनम् (कालियदमन)

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << धेनुकासुर का वध (उद्धार) यमुना नदी के तट पर एक कालिय/कलिङ्ग नामक एक सर्प अपने परिवार के साथ रहता था। वह दुष्ट निरन्तर विष उगलकर तालाब को विषाक्त बना दिया ताकि कोई भी वहां न आ सके। यदि कोई वहां जाता … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार- १३ – धेनुकासुर का वध (उद्धार)

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << ब्रह्मा के अभिमान को दूर करना श्रीकृष्ण, बलराम अन्य गोपाल सखाओं के साथ वन में प्रसन्नचित्त  होकर खेल रहे थे। तभी सभी ग्वाल-बालों ने बताया कि तालवन (ताड़ के वृक्षों का समूह) नामक स्थान है जहां परिपक्व मीठे फल हैं। परन्तु … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – १२ – ब्रह्मा के अभिमान को दूर करना

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << अघासुर वध (उद्धार) सभी देवताओं ने श्रीकृष्ण के द्वारा अघासुर का वध हो जाने के पश्चात् (श्रीकृष्ण की) स्तुति की। यह सुनकर ब्रह्मा शीघ्र वहां आए, सब देखकर आश्चर्यचकित हो गये। ब्रह्मा जो भगवान के प्रति समर्पित थे अब तमोगुण प्रधान … Read more