आचार्य हृदयम् – १२
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << आचार्य हृदयम् – ११ अवतारिका (परिचय) यहाँ पर इस शंका का निवारण किया गया है कि, “क्या (अचित और भगवद् सम्बन्ध) ये दोनों सम्बन्ध जो अनादिकाल से हैं आत्मा के लिए स्थायी हैं?” चूर्णिका १२ ऒन्ऱु कूडिनदाय्प् पट्रऱुक्क मीण्डु ऒऴिगैयाले … Read more