श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७३
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब उनसे पूछा गया कि “यद्यपि शेषत्व इत्यादि [शेषत्व (दासत्व), पारतंत्र्य (पूर्ण निर्भरता)] और ज्ञातृत्व इत्यादि [ज्ञातृत्व (ज्ञानी), आनंदत्व (आनंदित)] सभी आत्मा के महत्वपूर्ण गुण हैं, तो शेषत्व इत्यादि को अधिक महत्त्व देने और ज्ञातृत्व इत्यादि को ऐसे शेषत्व … Read more