श्रीवचन भूषण – सूत्रं ५२
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी भक्ति की अवस्था में परिवर्तन के प्रभाव के विषय में बताते हैं जो व्यक्ति की प्रपत्ती के प्रति प्रतिबद्धता को तोड़ देता है। सूत्रं – ५२ तन्नैप् पेणवुम् पण्णुम् धरिक्कवुम् पण्णुम्। सरल अनुवाद इससे स्वयं का … Read more