श्री रामायण तनि श्लोकम् – १ – परिचय

श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः  श्री रंगदेशिकाय नमः पूरी श्रृंखला एम्पेरुमान (भगवान) ने अनेक अवतार लिए हैं,  जिनमें श्री राम अवतार विशेष रूप से अनेक लोगों को प्रिय है| आऴ्वारों एवं आचार्यों ने अपने कृतियों में श्री रामावतार का वैभव बताया है: तिरुवाईमोऴि (सहस्रागीति) 7.5.1 में रामावतार का गुणगान किया है: कऱ्‌पार् इराम … Read more

आचार्य हृदयम् – १५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः  श्रृंखला << आचार्य हृदयम् – १४ अवतारिका (परिचय) प्रश्न यह है कि, “जबकि भगवान गुणत्रय (सत्व,रज,तम) बंधक चेतनों को ध्यानपूर्वक शास्त्रों का प्रकटीकरण करते हैं, यदि वे उन बंधकों की रुचि अनुसार लक्ष्य और उपाय बतलाते हुए शास्त्रों का प्रकटीकरण करते हैं, तो क्या वे इस … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ९२

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब उनसे पूछा गया कि “फिर भी क्या यह असाधारण कार्य [अपने शरीर को त्यागना] भगवान के लिए बाधा नहीं बनेगा जो सिद्धोपाय (तत्परता से उपलब्ध साधन) हैं जो स्वयं से किसी भी प्रयास को सहन नहीं करते हैं?” … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ९१

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब उनसे पूछा जाता है कि, “ये सब मोह के कारण घटित हुए हैं; जो कुछ अज्ञान/मोह के कारण घटित होता है वह वांछित नहीं है। तो ये कैसे वांछित हैं?” तो श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक उत्तर देते हैं। … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ९०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका वैकल्पिक रूप से, भले ही ऐसा कार्य (भगवान के लिए अपने जीवन का त्याग करना) साधन का अंश माना जाता है जबकि यह व्यक्ति के अनन्योपायत्व (किसी अन्य साधन में संलग्न न होना) को नष्ट कर देगा लेकिन यह … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ८९

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब उनसे पूछा जाता है कि, “अन्य अनुष्ठानों के विपरीत जो उपाय और उपेय के लिए निर्धारित हैं, यह [भगवान के लिए शरीर त्यागना] शास्त्रों में उपाय के रूप में निर्धारित किए जाने के कारण, और अनन्य साधन (जिसे … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ८८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब उनसे पूछा जाता है कि, “इस प्रकार, इसे [अपने शरीर को त्यागने को] साधन मानने के बजाय, क्या कोई भगवान के प्रति अत्यधिक प्रेम के कारण अपने शरीर को त्यागने की स्थिति तक पहुँच जाएगा?” तो श्रीपिळ्ळै … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ८७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी समझाते हैं कि इसका क्या अर्थ है, “जब यह (भगवान तक पहुँचने के साधन के रूप में अपने शरीर को त्यागना) नियम के रूप में आता है तो इसे पूरी तरह से त्यागना पड़ता है और … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ८६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका यहाँ एक प्रश्न आता है।  शास्त्र में समझाया गया है कि स्व इच्छा से भगवान की सेवा के लिये अपने शरीर का त्याग करना भी भगवान तक पहुँचने का एक उपाय है। अर्थात जिसे यहाँ देखा जाता हैं  एक … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ८५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका इस प्रकार, उपाय (साधन) और उपेय (लक्ष्य) के आदर्श स्वरूप व्यक्तित्वों के विषय में बताने के पश्चात, श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी कृपापूर्वक उन जैसे बने रहने के लिए कहने का आशय समझाते हैं। सूत्रं – ८५ उपायत्तुक्कु शक्तियुम् लज्जैयुम् यत्नमुम् … Read more