श्रीवचन भूषण – सूत्रं ५२

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी भक्ति की अवस्था में परिवर्तन के प्रभाव के विषय में बताते हैं जो व्यक्ति की प्रपत्ती के प्रति प्रतिबद्धता को तोड़ देता है। सूत्रं – ५२ तन्नैप् पेणवुम् पण्णुम् धरिक्कवुम् पण्णुम्। सरल अनुवाद  इससे स्वयं का … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ५१

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका अतः श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी ने प्रपत्ती करने वाले तीन प्रकार के व्यक्तित्वों की उपस्थिति के प्रामाणिक प्रमाण दिखाए; उन्होंने यह भी कहा कि प्रपत्ती के तीन प्रकारों में  भक्ति पारवश्यम् के कारण की गई प्रपत्ती सबसे महत्वपूर्ण है। यह … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ५०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका इसके बाद, इस संदर्भ में श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी द्वारा पिराट्टी (श्री महालक्ष्मी) के दयालु कथन को समझाया है जो संपूर्ण ब्रह्माण्ड की माता हैं और जो सबसे अधिक कल्याणकारी हैं। सूत्रं – ५०  “इदं शरणम् अज्ञानाम्” सरल अनुवाद “यह … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४९

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब पूछा गया कि “क्या इन तीन प्रकार के व्यक्तित्वों के लिए कोई प्रमाण है [जो भगवान के प्रति समर्पण करते हैं]?”  श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी  एक श्लोक उद्धृत कर रहे हैं जिसे श्रीपराशर भट्टर स्वामीजी  ने दयापूर्वक कहा था।  … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका यह पूछे जाने पर कि “प्रपत्ती में, जो इन तीन विषयों के आधार पर होता है, कौन सा सबसे महत्वपूर्ण है?”  श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी  दयापूर्वक कहते हैं, सूत्रं – ४८ मुख्यम् अदुवे। सरल अनुवाद वह (अत्याधिक भक्ति पर आधारित … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब पूछा गया कि “क्या ये तीनों विषय वहाँ प्रपत्ती के कारण होंगे (‘ऎन् नान् सॆय्गेन्‘ पाशुर में)?”  श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक कहते हैं सूत्रं – ४७ अङ्गु ऒन्ऱैप् पट्रि इऱुक्कुम् । सरल अनुवाद  यह उन विषयों में से … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी ने समझाया कि यद्यपि तीन प्रकार के व्यक्तित्वों में ज्ञान, ज्ञानाधिकार और भक्ति पारवश्यम जैसे तीन प्रकार के विषयों में संलग्नता होती है, लेकिन उनमें से एक विषय को उसके वर्चस्व के कारण प्रपत्ती के हेतु … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी इन तीनों विषयों के कारण को समझाते हैं अर्थात अज्ञान, आदि।   सूत्रं – ४५ इम्मून्ऱुम् मून्ऱु तत्वत्तैयुम् पट्रि वरुम्। सरल अनुवाद  ये तीन विषय तीन अस्तित्त्व  (अचित, चित्त और ईश्वर) के आधार पर बनते हैं। व्याख्या … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४४

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी अब विभिन्न व्यक्तित्वों के प्रपत्ती के हेतु होनेवाले अज्ञान आदि का कारण बता रहे हैं। सूत्रं ४४ इप्पडिच् चॊल्लुगिऱदुम् ऊट्रत्तैप् पट्रि। सरल अनुवाद  इस प्रकार कहने का कारण यह है कि हर प्रकार का व्यक्ति अलग-अलग … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४३

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी इस प्रश्न का दयापूर्वक उत्तर दे रहे हैं कि “क्या ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्होंने अज्ञान आदि के आधार पर शरणागति किया है?” सूत्रं – ४३ अज्ञानत्ताले प्रपन्नर् अस्मतादिगळ्; ज्ञानाधिक्यत्ताले प्रपन्नर् पूर्वाचार्यर्गळ्; भक्ति पारवश्यत्ताले प्रपन्नर् आऴ्वार्गळ्। सरल … Read more