श्रीवचन भूषण – सूत्रं ८२
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी कृपापूर्वक ऐसे महानुभावों के कार्यों का वर्णन करते हैं। सूत्रं – ८२ पिराट्टि स्वशक्तियै विट्टाळ्, द्रौपदि लज्जैयै विट्टाळ्, तिरुक्कण्णमङ्गै आण्डान् स्वव्यापारत्तै विट्टान्। सरल अनुवाद श्रीमहालक्ष्मी ने अपनी क्षमता त्याग दी, द्रौपदी ने अपनी लज्जा त्याग दी … Read more