श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४२
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक इस प्रश्न की व्याख्या कर रहे हैं “वे कौन हैं?” सूत्रं – ४२ अज्ञरुम्, ज्ञानाधिकरुम्, भक्ति परवशरुम् (विवशरुम्)। सरल अनुवाद वे अज्ञानी हैं, परम ज्ञानी हैं, गहन भक्ति वाले हैं। व्याख्या अज्ञरुम् … अज्ञर् जिनके … Read more