चरमोपाय निर्णय – उद्धारक आचार्य

॥ श्री: ॥ ॥ श्रीमते रामानुजाय नमः ॥ ॥ श्रीमद्वरवरमुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवानाचलमहामुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवादिभीकरमहागुरुवेनमः ॥ उद्धारक आचार्य जैसे हमने पहिले देखा कि आचार्य दो प्रकार के होते है, उद्धारक आचार्य और उपकारक आचार्य । उद्धारक आचार्य याने जो इस संसार के भव बंधन को छुड़ाकर परमपद दिलाते हैं। उद्धारकत्व तीन विभूतियों में विद्यमान … Read more

चरमोपाय निर्णय- तिरूमुडी संबंध

तिरूमुडी संबंध ॥ श्री: ॥ ॥ श्रीमते रामानुजाय नमः ॥ ॥ श्रीमद्वरवरमुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवानाचलमहामुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवादिभीकरमहागुरुवेनमः ॥     श्री शठकोप स्वामीजी अपनी निर्हेतुक कृपा से सहस्त्रगीती का उपदेश करते है । (श्री नाथमुनी स्वामीजी ने १२००० बार कन्नीण शिरताम्बू का पारायण किया जिससे श्री शठकोप स्वामीजी ने प्रसन्न होकर उनको दिव्य प्रंबंध … Read more

चरमोपाय निर्णय – स्मरण एवं प्रार्थना

॥ श्री: ॥ ॥ श्रीमते रामानुजाय नमः ॥ ॥ श्रीमद्वरवरमुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवानाचलमहामुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवादिभीकरमहागुरुवेनमः ॥     श्री नायनाराच्चान् पिल्लै   स्वामीजी का तनियन श्रुत्यर्थ सारजनकं स्मृतीबालमित्रम  पद्मोंल्लसद् भगवदङ्ग्रि पूराण बन्धुम ज्ञानाधिराजम अभयप्रदराज पुत्रम अस्मदगुरुम परमकारुणिकं नमामी ||   श्रीनायनाराचान पिल्लैजिन्होने श्री वेदों की सारतम बातों को बताया,जो सूर्य के समान तेजोमय हैं, … Read more

चरमोपाय निर्णय – प्रस्तावना

श्रीवैष्णव संप्रदाय में आचार्य के श्रीचरणारविन्दो को चरमोपाय बताया गया है। चरम याने अंतिम, उपाय याने उपेय की प्राप्ति का साधन । अपने पूर्वाचार्यों ने यह बताया है कि अपने अंतिम लक्ष की प्राप्ति के लिये आचार्य के चरणारविन्दो को ही उपाय के रूप में स्वीकार करना चाहीये । श्री आंध्रपूर्ण स्वामीजी बताते है की … Read more

श्रीभगद्विषय उत्सव ( ईडु उत्सव )

 ॥ श्रीमते रामानुजाय नमः ॥            ॥ श्रीमद् वरवरमुनये नमः ॥               ॥ श्री वादिभिकरमहागुरुवेनमः ॥ एक समय पवित्रोत्सव समाप्ति के दिन श्रीरंगनाथ भगवान श्रीमद्वरवरमुनीन्द्रजी को सम्बोधित करके तीर्थ, माला, श्रीशठकोप आदि सत्कारपूर्वक यह आदेश सुनाये – “हमारे श्रीमहामण्डप में श्रीशठकोपसूरि के सहस्त्रगीति प्रबन्ध का, छत्तीस हजार ( ईडु – भगद्विषय ) व्याख्या और अन्य व्याख्या … Read more

विरोधी परिहारंगल (बाधाओं का निष्कासन) – १

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनयेनमः श्रीवानाचलमहामुनयेनमः श्रीवादिभीकरमहागुरुवेनमः श्रीवैष्णवों को अपने दैनिक जीवन में कैसी चुनोतियों का सामना करना पड़ता है इसका उपदेश श्रीरामानुज स्वामीजी ने वंगी पुरुत्तु नम्बी को दिया । वंगी पुरुत्तु नम्बी ने उसपर व्याख्या करके “विरोधि परिहारंगल” नामक ग्रन्थ के रूप में प्रस्तुत किया । इस ग्रन्थ पर अँग्रेजी … Read more

अनध्ययन काल और अध्ययन उत्सव

 ॥ श्रीवादिभीकरमहागुरुवेनमः ॥           ॥ श्रीमद्वरवरमुनयेनमः ॥    ॥ श्रीमतेरामानुजायनमः ॥ e-book – https://1drv.ms/b/s!AiNzc-LF3uwygjPyyaKnNn1_pvID कलियन अरुल पाडु और ६००० पड़ी गुरु परम्परा प्रभावम को आधार लेकर अँग्रेजी में श्रीमान परम भागवत सारथी तोताद्रीजी ने “ अनध्ययन काल और अध्ययन उत्सव ” लेख को प्रकाशित किया है, उसीको हिन्दी में अनुवाद किया गया है । श्रीरंगम में अध्ययन … Read more

यतिराज विंशति – 2

श्री रङ्गराज चरणाम्बुज राजहंसं श्रीमत्परांकुश पदाम्बुज भृंगराजम् । श्रीभट्टनाथ परकाल मुखाब्जमित्रं श्री वत्सचिह्नशरणं यतिराजमीड़े ॥ २ ॥ श्री रङ्गनाथ भगवान श्री रङ्गराज चरणाम्बुज राजहंसं            : श्री रङ्गनाथ भगवान के चरणकमलों                       के राजहंस श्रीमत्परांकुश पदाम्बुज भृंगराजम्    : श्रीशठकोपमुनि के चरणकमलोंके भ्रमर श्रीभट्टनाथ परकाल मुखाब्जमित्रं … Read more

यतिराज विंशति – 1

श्रीमाधवाङ्घ्रि जलजद्वयनित्यसेवा प्रेमाविलाशयपरांकुश पादभक्तम् । कामादि दोषहरमात्म पदाश्रितानां रामानुजं यतिपतिं प्रणमामि मूर्ध्ना ॥ १ ॥ श्रीमाधवाङ्घ्रि जलजद्वय                 : भगवान के कमल रूपी चरणों की जलजद्वयनित्यसेवा प्रेमाविलाशय          : नित्य सेवामें प्रेम से जो व्याकूलित हैं प्रेमाविलाशयपरांकुश पादभक्तम्             : ऐसे श्री शठकोप मुनि के चरणोंके भक्त आत्म पदाश्रितानाम्               : अपने चरणोंका आश्रय लेने वालों … Read more

तनियन् श्लोक

तनियन् श्लोक श्रीमद्वरवरमुनि देवराज गुरु य: स्तुतिं यतिपतिप्रसादनीं व्याजहार यतिराज विंशतिम् | तं प्रपन्नजन चातकाम्बुदं नौमि सौम्यवरयोगिपुङ्गवम् || य:                                  : जिन श्रीमद् वरवरमुनि ने यतिपति प्रसादनीं           : यतिराज श्री रामानुज मुनि को प्रसन्न करनेवाली यतिराजविंशतिं     … Read more